वर्धा, 23 मई 2021:
सुविख्यात दार्शनिक और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा है कि कोरोना काल में महाराणा प्रताप के त्याग से प्रेरणा लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप मानवीय गरिमा की स्थापना के लिए लडने वाले समर्पित योध्दा थे. प्रो. शुक्ल गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर , गुजरात की ओर से रविवार (23 मई) को महाराणा प्रताप की 481 वीं जयंती पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा, मानवाधिकार और गीता : महाराणा प्रताप के जीवन के आलोक में’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे. संगोष्ठी की अध्यक्षता गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने की.
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भक्त फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत, हरियाणा की कुलपति प्रो. सुषमा यादव, भक्त कवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय जूनागढ़, गुजरात के कुलपति प्रो. चेतन त्रिवेद ने तथा मुख्य वक्ता के रूप में पश्चिम बंगाल के रेग्यूलेशन्स एण्ड मेन्यूअल्स के पुलिस महानिदेशक डॉ. बी. एन. रमेश (आईपीएस) ने संबोधित किया. प्रस्तावित एवं बीज भाषण भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान, दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष, दार्शनिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता तथा गीता मर्मज्ञ श्री रामकृष्ण गोस्वामी ने दिया.
प्रो. शुक्ल ने कहा कि महाराणा प्रताप ने गीता को चरितार्थ करते हुए अपना जीवन समर्पित किया. समाज और राष्ट्र के प्रति निष्ठा के साथ उन्होंने शत्रु के मानवाधिकार की भी रक्षा की और समाज के अंतिम आदमी के लिए लड़ते रहे. कुलपति प्रो. शुक्ल ने आहवान किया कि महाराणा प्रताप के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए हमें हर क्षण भारत माँ के लिए जीना चाहिए.
प्रस्तावित एवं बीज भाषण में गीता मर्मज्ञ राम कृष्ण गोस्वामी ने कहा कि महाराणा प्रताप ने धर्म और मानवाधिकार की रक्षा के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया.
पुलिस महानिदेशक डॉ. बी. एन. रमेश ने महाराणा प्रताप के युध्द कौशल की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने सच्चाई से लडाई के साथ जीत का मंत्र दिया.
भक्त कवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय जूनागढ़ के कुलपति प्रो. चेतन त्रिवेदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में महाराणा प्रताप के जीवन प्रसंग पर प्रकाश डाला.
भक्त फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत, हरियाणा की कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने कहा कि महाराणा प्रताप ने जय-पराजय के लिए नहीं अपितु राष्ट्र गौरव व मातृभूमि की सुरक्षा के लिए युद्ध लडा. उन्हें एक समरस नायक के रूप में याद किया जाएगा.
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने कहा कि महाराणा प्रताप राष्ट्रवाद और मानवाधिकार के प्रतीक थे. वे सामाजिक न्याय के सच्चे सेनानी थे.
कार्यक्रम का संयोजन गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा अध्ययन संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रो. एच. बी. पटेल ने किया तथा आभार भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन संस्थान के प्रो. आलोक गुप्ता ने माना.
संगोष्ठी में अध्यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में ऑनलाइन उपस्थित थे.