इतिहास गढ़ने वाले राष्ट्र भक्त थे महाराणा प्रताप : बी. एन. रमेश
वर्धा, 10 मई 2021:
जाने- माने चिंतक और पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक श्री बी. एन. रमेश (आईपीएस) ने कहा है कि महाराणा प्रताप इतिहास को गढ़ने वाले राष्ट्र भक्त थे.श्री बी. एन. रमेश महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ तथा संस्कृति विद्यापीठ के संयुक्त तत्त्वावधान में रविवार को महाराणा प्रताप की 481 वीं जन्म जयंती के अवसर पर ‘महाराणा प्रताप और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं मानवाधिकार की रक्षा’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे. संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की.
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान, दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष, दार्शनिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता तथा गीता मर्मज्ञ श्री राम कृष्ण गोस्वामी,विशिष्ट अतिथि के रूप में भक्तकवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय, जूनागढ़, गुजरात के कुलपति प्रो. चेतन त्रिवेदी तथा इतिहासकार व शिक्षाविद डॉ स्वरूप गुप्ता ने संबोधित किया.
बी. एन. रमेश ने कहा कि महाराणा प्रताप राष्ट्र भक्ति के प्रतीक थे. उन्होंने अकबर को कड़ी टक्कर देते हुए आत्मसम्मान, देशभक्ति और अदम्य साहस का परिचय दिया. महाराणा प्रताप को एक अच्छे संगठक, प्राणीमात्र के रक्षक और इतिहास के रचनाकार के रूप में याद किया जाएगा.इस अवसर पर गीता मर्मज्ञ श्री राम कृष्ण गोस्वामी ने कहा है कि महाराणा प्रताप धर्म और संस्कृति के प्रतिनिधि नायक थे. उन्होंने देश व धर्म की रक्षा के लिए संपूर्ण समर्पण किया. उनका दर्शन संकल्प से सिद्धि तक का अनुष्ठान है.
महाराणा प्रताप ने जीवन से कोई समझौता न करते हुए देश के लिए ऐश्वर्य को त्याग दिया. आज के संकट की स्थिति में उनके विचारों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. श्री गोस्वामी ने कहा कि महाराणा प्रताप के पराक्रम पर जन आंदोलन का आगाज़ करने के लिए विश्वविद्यालयों को पहल करनी चाहिए.भक्तकवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय, जूनागढ़, गुजरात के कुलपति प्रो. चेतन त्रिवेदी ने महाराणा प्रताप को संघर्ष का प्रतीक करार देते हुए उनके समग्र चरित्र को नई पीढ़ी को पढाने की आवश्यकता बताई. उन्होंने नरसिंह मेहता व मीराबाई की भक्ति परंपरा पर भी प्रकाश डाला.
इतिहासकार व शिक्षाविद्डॉ. कृष्ण स्वरूप गुप्ता ने कहा कि आज की स्थिति में विपरीत परिस्थितियों को कैसे अनुकूल बनाया जा सकता है इसका बोध महाराणा प्रताप के जीवन – संघर्ष में मिलता है. स्वतंत्रता को शाश्वत तरीके से प्राप्त करना और मानवाधिकार की सुरक्षा के उनके कार्य हमारे लिए मार्गदर्शक हैं.
अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि महाराणा प्रताप के संघर्ष से हम यह प्रेरणा ले सकते हैं कि कैसे उन्होंने निरंतर संघर्ष और समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए कार्य किया. युद्ध के बीच मानवता बची रहे, इसके लिए महाराणा प्रताप एक आदर्श है. प्रो शुक्ल ने कहा कि मनुष्यता, मानव की गरिमा और स्वतंत्रता तथा स्वाभिमान की दृष्टि को समझने में महाराणा प्रताप के विचार बहुत प्रासंगिक हैं.इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता, वेबिनार के संयोजक प्रो. कृपाशंकर चौबे ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम का संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष तथा एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. जयंत उपाध्याय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अधिष्ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने किया. डॉ. वागीश राज शुक्ल द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति और विश्वविद्यालय के कुलगीत से कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ. वेबिनार में अध्यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की.