Home Uncategorized मुख्यमंत्री राहत कोष , राहत कोष है या वसूली केंद्र..?? प्रसून चतुर्वेदी

मुख्यमंत्री राहत कोष , राहत कोष है या वसूली केंद्र..?? प्रसून चतुर्वेदी

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मुख्यमंत्री राहत कोष , राहत कोष है या वसूली केंद्र..??

संपूर्ण प्रदेश में इस महामारी के अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में जब हम चिकित्सा और पुलिस को देखते हैं ।ऐसे योद्धाओं से एक दिन की वेतन कटौती का आदेश जारी करना सरासर उनपर अत्यचार करना है ; ये इन दोनों ही वर्गों से और अन्य वो सभी कर्मचारियों के लिए भी ये स्वेच्छा का विषय होना चाहिए जो इस आपदा में लगे हुए हैं चाहे वो किसी भी विभाग से हो । भूपेश सरकार को चाहिए उनके द्वारा घोषित “बेरोज़गारी भत्ते” को इन योद्धाओं को देकर उनका प्रोत्साहन करना चाहिए,युवाओं को तो वैसे भी मिलने से रहा।

सरकार किस शर्मनाक स्तर पर आ चुकी हैं कि वो मितानिनों ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/ सहायिकाओं को भी विगत कुछ माहों से पूर्ण वेतन उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं ,इसी तरह नगर निगमों और पालिकाओं के भी कर्मचारीयों को आज ये खून के आंसू रुला रहे हैं । भूपेश सरकार सर्वप्रथम संपूर्ण कैबिनेट के द्वारा एक माह का वेतन देकर मिसाल पेश करते तत्पश्चात सामान्य जन से अपेक्षा रखते ।

कटु लेकिन सत्य तो यही हैं कि वेतन कटौती को मना केवल आर्थिक आधार पर ही नहीं हैं अपितु कहीं न कहीं नेतृत्व की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लगता हैं ?भूपेश सरकार को यह मनमानी आगे महंगी पड़ेगी।बढ़ती महंगाई में इन शासकीय लोगो को महंगाई भत्ता देने के बजाय इनका एक दिन वेतन बिना सहमति के काटना सरासर अनुचित व अन्यायपूर्ण है।भूपेश सरकार को अपना यह तुगलकी फरमान वापस लेना चाहिए।कोरोना काल की इस विपदा में आज पुलिसकर्मी व शासकीय कर्मचारी अपना कार्य पूरी ईमानदारी से कर रहे है।इनके साथ ऐसा व्यवहार सर्वथा अनुचित है।