बिलासपुर ऐतिहासिक जेल पुनः इतिहास रचने की कगार पर…
छत्तीसगढ़ के दूसरे प्रमुख शहर बिलासपुर के केंद्रीय जेल की स्थिति आज के समय मे सही नही कही जा सकती, प्रदेश की भूपेश सरकार के लिए बिलासपुर केंद्रीय जेल शायद महत्वपूर्ण नहीं होगा ।शायद प्रदेश की सभी जेलों के लिए भी ध्यान देना इस सरकार के लिये उचित नहीं है, कोरोना काल मे क्या जेलों की व्यवस्था सही है,यह तो आसानी से समझा जा सकता है,क्योंकि हाल ही में रायपुर सेंट्रल जेल के कैदी की कोरोना से मौत इस बात का प्रमाण हैं ,उसी तरह हमारी ऐतिहासिक बिलासपुर जेल भी शायद उन्हीं पदचिन्हों पर हैं । जेल की कुछ मजबूरियां हैं कुछ हालात की,लेकिन छत्तीसगढ़ शासन की ऐसी क्या मजबूरियां हैं जो विगत चार माह से अधिकृत जेल अधीक्षक की तैनाती नही कर पायी या ये समझें कि व्यवस्था नहीं जम पायी ?? अभी तक नियुक्ति न होना विभिन्न शंकाओं को स्वतः जन्म देता हैं।
हमारी न्यायधानी से जब उच्च न्यायालय प्रदेश की समस्त जेलों को निर्देशित करते हैं कि अपनी क्षमता से अधिक कैदियों को भेड़ बकरियों की तरह न ठूंसा जाएं ,उनकी सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक पेरोल की बात करते हैं ,पिछले वर्षों के अनुभव में ये आया हैं कि बैरक के एक कैदी से पूरी बैरक या जेल संक्रमित हो सकती हैं ,क्योंकि क्षमता हैं हजार कैदियों की और वर्तमान में बिलासपुर जेेेल में तीन हजार के आसपास पुरुष व महिला कैदी हैं ।
क्या इतनी बड़ी संख्या में जेलों को सहायक जेल प्रभारियों के हाथों सौंपना उचित हैं अथवा भूपेश सरकार किसी बड़ी विकट स्थिति के लिए रुकी हुई हैं ?
प्रदेश सरकार की अधीक्षकों की नियुक्तियां में लेटलतीफी एवं कैदियों के जांच परीक्षण की व्यवस्था न होना एवं पेरोल के लिए भी किसी प्रकार से कोई व्यवस्था न दिखना ; यह भूपेश सरकार की अकर्मण्यता एवं असंवेदनशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
आज केंद्रीय जेल में बड़े निगरानी शुदा बदमाश और बड़े अपराधी कैद है।आजीवन कारावास काटने वाले बड़े अपराधी जेल में बंद है।प्रदेश के दूसरे मुख्य शहर जहा उच्च न्यायालय स्थित है उस शहर की केंद्रीय जेल में प्रदेश की भूपेश सरकार चार माह से जेल अधीक्षक की पोस्टिंग नही कर सकी यह अपने आप मे सोचनीय विषय है।चार माह पहले एस के मिश्रा जेल अधीक्षक के पद से रिटायर हुए थे,तब से आज तक यह पद खाली पड़ा हुआ है।जेलर राय इस जेल को सम्हाल रहे थे,वो भी तीन दिन पूर्व कोरोना संक्रमित होकर आइसोलेट हो गए है,अब केंद्रीय जेल को सहायक जेलर सम्हाल रहे है।
कल किसी बड़ी घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री व जेल मंत्री जागेंगे?इस मामले पर छत्तीसगढ़ उजाला ने जेल मुख्यालय में बैठे अफ़सर से बात की उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर हमें जानकारी दी कि बिलासपुर में चार माह से यह पोस्ट खाली पड़ी हुई है,सुप्रिटेंडेंट की पोस्ट को सरकार आसानी से भर सकती है,पर पता नही इस सरकार की क्या मंशा है यह तो समझ से परे है।अधीक्षक रैंक के अफसर जेल मुख्यालय में उपलब्ध है पर इन अधीक्षको की नियुक्ति क्यो नही की जा रही है?यह तो हम नही बता सकते है यह तो सरकार और उच्च पदों पर विराजित अफसर ही बता पाएंगे?
क्या इतनी बड़ी लापरवाही करना उचित है,क्या सेटिंग नही हो पाना ही इस मामले का मुख्य कारण है?ऐसे बहुत से सवाल है जिनका जवाब प्रदेश के मुख्यमंत्री और जेल मंत्री को देना होगा?