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नियमो की धज्जियां उड़ाते न्यायधानी के नर्सिंग होम,रहवासी क्षेत्रो में जलाया जा रहा मेडिकल कचरा:

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::रक्षक ही बन बैठे भक्षक::

आज जहाँ छोटी सी छींक किसी को आ जाती हैं तो तुरंत विभिन्न शंकाएं आ जाती हैं । ऐसे में जब सभी कार्यक्षेत्रों को प्रतिबंधित रखा गया ; उसमें चिकित्सा ,पुलिस एवं सफाई व्यवस्था ही सुचारू रखी गयी हैं ,जिससे ये महामारी अपने और पांव न पसार सके लेकिन प्रशासन के इतने प्रयासों के बावजूद शहर के निजी नर्सिंग होम/ हॉस्पिटल संचालन ही इसे ध्वस्त कर रहे हैं, हाल ही में पीपीई किट जैसी संक्रामक वस्तुओं का केअर न क्योर अस्पताल द्वारा सरेआम रोड पर फेंकना ,इसी तर्ज पर गौरव पथ पर स्थित साइं बाबा हॉस्पिटल द्वारा हाल में कोविड मेडिकल कचरा पीपीई किट आदि एवं रोजमर्रा का मेडिकल कचरा वर्षों से जलाने की बात भी निकल कर आयी हैं ।

शहर में मिनी माता बस्ती एवं पड़ोसियों द्वारा इसे वर्षों से बर्दाश्त किया जाता रहा हैं जब महामारी संक्रमण इस स्तर पर आ चुका हैं जहाँ समय समय पर निगम प्रशासन ,जन प्रतिनिधि सैनिटाइज करवा रहे हैं गली मोहल्लों को वहां एक आईएमए के अध्यक्ष होकर इस प्रकार से कानून की धज्जियां उड़ाना और लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना कैसे न्यायोचित हो सकता हैं ? जिला प्रशासन एवं निगम प्रशासन इस संदर्भ में सख्त कार्यवाही कर अन्य को इस प्रकार खिलवाड़ करने से रोकें ,साथ ही शहर में समस्त निजी अस्पतालों और नर्सिंग होमों के मेडिकल कचरे के निस्तारण की जांच कर आम जनता को इस ज़हरीले दम घोंटू धुंए से निजात दिलाएं….

स्वास्थ्य को लेकर जागरूक होने की है आवश्यकता

बिलासपुर को स्वस्थ रखने वाले अस्पताल प्रबंधन शहर की जनता को अस्वस्थ करने के कार्य को अंजाम देने में लगे हुए है।गली मोहल्लों में बड़े बड़े नर्सिंग होम बनाकर अस्पताल का कारोबार बिलासपुर में एकाएक बढ़ सा गया है।सरकार के बनाये नियमो की धज्जियां इन अस्पताल वालो के द्वारा बेख़ौफ़ होकर उड़ाया जा रहा है। सड़कों पर फेंका जाने वाला बायो मेडिकल वेस्ट पर्यावरण के लिए खतरा बना हुआ है। इससे लोगों में भी संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है।

स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े दावे तो हमेशा करता है। लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी का धम्भ भी भरता है लेकिन विभागीय अधिकारियों की आंखें तभी खुलती हैं, जब कहीं मामला बिगड़ जाता है। विभाग कितना सक्रिय है, यह तो हर कोई वाकिफ है। नगर निगम एक तरफ स्वच्छता पखवाड़ा चलाता है सफाई की बातों पर विशेष ध्यान देने की बात करता है और वही शहर में फैले नर्सिंग होम के संचालक अपनी मदमस्ती में नजर आ रहे है।

अगर ऐसा नहीं होता तो शायद आज शहर की सड़कों पर बायो मेडिकल वेस्ट (कचरा) नहीं फेंका जाता। शहर में ऐसे कई इलाके हैं, जहां सड़कों पर बायो मेडिकल कचरा फेंका जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यह गलत है और इसके लिए नियम भी हैं। ऐसे कचरे को खुले में सड़क पर यूं ही नहीं फेंका जा सकता। भारत सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार यह लोगों की मौत का सामान है। ऐसे कचरे से बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा संकट है।

आज कोरोना काल मे मेडिकल कचरों को गाली मोहल्लों में फेंकना कितना बड़ा अपराध है।बिलासपुर जिला प्रशासन को इस मामले पर ध्यान देने की आवश्यकता है।साथ ही बिलासपुर शहर में संचालित ऐसे सभी नर्सिंग होम के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।मेडिकल कचरा कितना नुकसानदायक है यह आज हम सब अच्छे से वाकिफ है।

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