एंटीलिया मामले में कल तक भाजपा के सवालों का सामना कर रहे महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख अब शिवसेना के सवालों की जद में भी आ गए हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए सवाल उठाए हैं कि जब सचिन वाझे वसूली कर रहा था और तो क्या राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख को इसकी जानकारी नहीं थी? बता दें कि पूर्व पुलिस कमिश्नर ने देशमुख पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के अपने साप्ताहिक कॉलम ‘रोकठोक’ में शिवसेना नेता संजय राउत ने सवाल करते हुए लिखा कि विगत कुछ महीनों में जो कुछ हुआ उसके कारण महाराष्ट्र के चरित्र पर सवाल खड़े किए गए। वाझे नामक सहायक पुलिस निरीक्षक का इतना महत्व कैसे बढ़ गया? यही जांच का विषय है। गृहमंत्री ने वाझे को 100 करोड़ रुपए वसूलने का टार्गेट दिया था, ऐसा आरोप मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह लगा रहे हैं। उन आरोपों का सामना करने के लिए प्रारंभ में कोई भी आगे नहीं आया! सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोई योजना नहीं है, ये एक बार फिर नजर आया।
‘फटे हुए गुब्बारे में हवा भर रहा विपक्ष’
लेख में आगे लिखा गया ‘महाराष्ट्र के विपक्ष को ठाकरे सरकार को गिराने की जल्दबाजी लगी है इसलिए फटे हुए गुब्बारे में हवा भरने का काम वे कर रहे हैं। उनके आरोप प्रारंभ में जोरदार लगते हैं बाद में वे झूठ सिद्ध होते हैं। परंतु ऐसे आरोपों के कारण सरकार गिरने लगी तो केंद्र की मोदी सरकार को सबसे पहले जाना होगा। महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह क्या हुआ? मनसुख हिरेन व एंटालिया विस्फोटक मामले में राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस के आयुक्त परमबीर सिंह का तबादला कर दिया। सिंह एक महत्वाकांक्षी अधिकारी हैं। होमगार्ड महासंचालक के पद पर की गई बदली वे सह नहीं सके। उनकी उस अवस्था में तेल डाला गृहमंत्री देशमुख ने। पुलिस आयुक्त ने गलतियां कीं इसलिए उन्हें जाना पड़ा, ऐसा एक बयान देशमुख द्वारा देते ही परमबीर सिंह ने 100 करोड़ की वसूली का टार्गेट गृहमंत्री ने कैसे दिया था, ऐसा पत्र बम फोड़ दिया। फिर वह टार्गेट किसे दिया, तो मनसुख हिरेन नामक युवक की हत्या का आरोप जिस पर है, उस सचिन वाझे को। सचिन वाझे अब एक रहस्यमयी मामला बन गया है। पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा वाझे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था। उसे मुंबई पुलिस का असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया यह वास्तविक जांच का विषय है। मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर वाझे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी?
‘देशमुख ने अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया’
लेख में कहा गया कि देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया। गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए। बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है। संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट’ लेने के लिए नहीं होता है. वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है। प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे चलेगा? परमबीर सिंह ने जब आरोप लगाया तब गृह विभाग और सरकार की धज्जियां उड़ी। परंतु महाराष्ट्र सरकार के बचाव में एक भी महत्वपूर्ण मंत्री तुरंत सामने नहीं आया। लोगों को परमबीर का आरोप प्रारंभ में सही लगा इसकी वजह सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी।’
राज्याल कोश्यारी पर भी उठाए सवाल
इसके अलावा पार्टी ने मुखपत्र के जरिए एक बार फिर महाराष्ट्र के राज्याल भगत सिंह कोश्यारी पर सवालिया निशान लगाए हैं। उन्होंने लिखा ‘महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस पूरे दौर में निश्चित तौर पर क्या किया? राज्यपाल आज ठाकरे सरकार जाए इसके लिए राजभवन के समुद्र में बैठकर ईश्वर का अभिषेक कर रहे हैं।’ आगे लिखा गया है ‘अधिकारियों पर निर्भर रहने का परिणाम राज्य सरकार भुगत रही है। सरकार को क्या करना चाहिए ये कहने के लिए यह प्रपंच नहीं है। सरकार फिसलन भरे छोर से फिसल रही है और किस्मत से बच रही है। ‘