नागा साधु के पास रखे लाखो रूपये,चांदी के बर्तन और मोबाइल भी तोरवा पुलिसकर्मियों ने छीन लिये
बिलासपुर पुलिस का एक और मामला सामने आया है।बिलासपुर के तोरवा थाने के पुलिसकर्मियों ने एक नागा साधु को बिना किसी कारण के मारा और उसके सारे सामान भी छीन लिए।नागा साधु के समान जिसमे चांदी के बर्तन, मोबाईल और पैसे को तोरवा थाने के पुलिसकर्मियों ने अपने पास रख लिए।या फिर पुलिस वाले ही लूट लिए यह कहा जा सकता है।कानून के रखवाले जब कानून ही तोड़ने लगेंगे तो उस प्रदेश का क्या होगा। पिछले वर्ष लॉक डाउन के समय बिलासपुर पुलिस का यही चेहरा सामने आया था जिसमे एक पेट्रोल पंप के कर्मचारी को बिलासपुर पुलिस ने बेरहमी से पीटा था।आज फिर एक बार बिलासपुर पुलिस की करतूत सामने आई है। एक नागा साधु को जबरन थाने में बैठालकर पुलिसकर्मियों को मारपीट करने की क्या छूट मिली हुई है।
*****परित्राणाय साधुनाम******
बिलासपुर पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल को तत्काल इस मामले पर दोषी पुलिसकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए। क्या अब इस प्रदेश में नागा साधुओं का घूमना भी अपराध हो गया है।न्यायधानी में पुलिस के द्वारा किया गया यह अत्याचार अमानवीय व अपराध ग्रस्त की श्रेणी में आता है।एक नागा साधु को पीटने से इन पुलिस वालों को क्या मिल गया।शहर में खुलेआम गुंडागर्दी करने वालो पर अपना पुलिसिंग अंदाज दिखाना छोड़कर एक नागा साधु के साथ मारपीट और लूटपाट किया जाना अपने आप मे बड़ा अपराध है।
तोरवा पुलिस थाने के गेट में बड़े अक्षरों पर परित्राणाय साधूनाम लिखा गया है।क्या इसका अर्थ भी इस थाने के पुलिसकर्मियों को नही मालूम:
नागा साधू को मारना और उसके सारे समान को छिनना, क्या इस थाने में यही कार्य किया जाता है।
नागा साधुओं का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है।उनको परेशान करना मतलब अपने सम्पूर्ण वंश का नाश करना है।साधु सन्तो के देश मे आज अनर्थ हो रहा है।प्रभु श्रीराम जी के ननिहाल छत्तीसगढ़ में ऐसा भी होगा इसकी कल्पना किसी ने भी नही की होगी।
तोरवा पुलिस के ऊपर यह आरोप भी है कि इस नागा साधु के थैले में रखे लाख रु भी इन पुलिस वालों ने रख लिए।स्थानीय भाषा नही आने की वजह से इस नागा साधु को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।तोरवा पुलिसकर्मियों का यह व्यवहार सरासर गलत है।प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इस मामले में तत्काल ठोस कार्यवाही करनी चाहिए।जूना अखाड़ा के नागा साधु श्री योगी गंगापुरी महाराज रविवार रात रेलवे रिजर्वेशन करवाकर सेकंड एसी से त्रिवेंद्रम से बिलासपुर पहुचे थे।बिलासपुर में वे अपने गुरुभाई से मिलने आये थे।दिन की नित्य क्रिया करके वो निकलने ही वाले थे तभी तोरवा थाने की पुलिस शक संदेह पर उनको थाने ले आये,जहा नागा साधु की इन पुलिसकर्मियों के द्वारा बेदर्दी से पिटाई की गई।और उनके थैले को भी छीन लिया गया।
क्या छत्तीसगढ़ सरकार इन पुलिस वालों को इस प्रकार से लुटपाट करने की छूट दी हुई है। क्या अब बिलासपुर पुलिस इस प्रकार के काम को भी अंजाम देने में लगी हुई है।महाराष्ट्र की घटना आज भी हम सभी को याद है।छत्तीसगढ़ में साधुओं के साथ ऐसे कार्य पहले कभी नही हुए है।क्या एक साधु को घूमने की या आने जाने की भी आजादी इस प्रदेश में नही है।
बिलासपुर पुलिस की ऐसी पुलिसिंग समाज विरोधी है।बिलासपुर पुलिस के बड़े अफसरों को इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेने की जरूरत है।साथ ही इस अमानवीय कार्य को अंजाम देने वाले दोषी पुलिसकर्मियों के ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये।
नागा साधु के साथ तोरवा पुलिस के द्वारा किये गए इस अमानवीय मामले पर जब थाना प्रभारी परिवेश तिवारी से बात की गई तो उनका कहना था ऐसी कोई घटना नही हुई है बाद में जब हमारे द्वारा घटना की बात पर जोर दिया गया कि उक्त साधु के द्वारा हमे बताया गया है तब उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो इस मामले में जो भी दोषी होगा उस पर तत्काल कार्यवाही की जाएगी।पर परिवेश तिवारी से जब यह पूछा गया कि इस घटना में शामिल कौन पुलिस वाले थे तो उन्होंने उन पुलिसकर्मियों का नाम नही बताया.
कुल मिलाकर तोरवा पुलिस थाने के प्रभारी अपने थाने के स्टाफ को बचाने की जुगत में लगे हुए है।बिलासपुर पुलिस के बहुत से मामले अकसर आते है कही न कही ऊपर बैठे अफसरों को इस प्रकार के मामलों पर त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए।ऐसा करने से जनता के सामने पुलिस की अच्छी छवि बन पाएगी