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महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को होने जा रहे मतदान का प्रचार अंतिम दौर में पहुंचा

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। दोनों ही राज्यों में 21 अक्टूबर को होने जा रहे मतदान में अब एक हफ्ते से भी कम का वक्त रह गया है। राजनीतिक दलों द्वारा बीते एक पखवाड़े में एक दूसरे पर जमकर निशाना साधा है। राजनीतिक दलों द्वारा इन दोनों राज्यों में वोटरों को रिझाने के लिए स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी है। इस बीच कुछ राष्ट्रीय मुद्दे ऐसे रहे हैं जो दोनों राज्यों में ही छाए रहे हैं। इन मुद्दों पर भाजपा और कांग्रेस का रुख एक दूसरे पर हमलावर रही रहा है। बता दें कि महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों ही राज्यों में फिलहाल भाजपा की सरकार ही काबिज है। जानते हैं कि आखिर किन मुद्दों पर गरमाई है दोनों राज्यों की सियासत। भारतीय जनता पार्टी ने दोनों ही राज्यों में प्रादेशिक मुद्दों के साथ ही राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने की कोशिश की है। खासकर कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया है। मोदी सरकार के इस बड़े कदम को राजनेताओं ने हर चुनावी रैली में भुनाया है। इसके साथ ही कांग्रेस पर हमलावर होते हुए आर्टिकल 370 को लेकर उनका पक्ष रखने की भी लगातार मांग की हैं। भाजपा ने असम में National Register of Citizens भी लागू किया है। यह भारत में अवैध तौर पर रहने वाले विदेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए है। इसे भी मुद्दा बनाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने एनआरसी को पूरे देश में लागू करने की बात भी कही है। भाजपा द्वारा अपने घोषणा पत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की है, इस पर कांग्रेस सहित विपक्ष भाजपा पर हावी हो गया है। इस मुद्दे ने खासतौर पर महाराष्ट्र की राजनीति को गरमाया है। वहीं एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की तर्ज पर मुस्लिम आरक्षण की मांग कर एक नया मुद्दा उछालकर वोट बैंक को अपनी तरफ करने की कोशिश की हैं। देश में आर्थिक मंदी की आहट के बीच दोनों राज्यों में विपक्ष ने भाजपा के खिलाफ आर्थिक मंदी के मुद्दे को उछालने का प्रयास किया है। इसके साथ ही बढ़ती बेरोजगारी पर भी भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की गई है।