रायपुर: जेईई मेन यही नेशनल लेवल की परीक्षा है, इस परीक्षा के जरिए आप हमारे देश के स्टेट गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज और सेंट्रल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं। देश की सबसे बड़ी और कठिन मानी जाने वाली इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा कड़ी मेहनत और लगन के साथ साथ अच्छे कोचिंग की भी आवश्यकता पड़ती है। देश के विभिन्न बड़े बड़े शहरों में इसकी कोचिंग दी जाती है। छत्तीसगढ़ सहित कई ऐसे रज्य है जहाँ सर्कार के द्वारा भी निःशुल्क कोचिंग दी जाती है। छत्तीसगढ़ राज्य के सुदूर जंगल में बसे बस्तर अंचल के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर जिले के बच्चे आज इंजीनियरिंग एवं अन्य क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रहे है। इस वर्ष की जेईई मेंस परीक्षा में बीजापुर जिले के सात बच्चों ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की है। इससे इस नक्सल प्रभावित जिले के बच्चों के अरमानों को नए पंख लग गए हैं।
देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल बीजापुर जिले में आदिवासी बच्चों को आईआईटी और एनआईटी जैसे राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने के लिए विषेश कोचिंग दी जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा छू-लो-आसमान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस विषेश कोचिंग में गरीब परिवारों के प्रतिभावन छात्रों को सुविधा मिल रही है,उन्हें इस कार्यक्रम से निःशुल्क कोचिंग के साथ आवासीय सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ मद से निःशुल्क कोचिंग के लिए उत्कृष्ठ शिक्षक, लाइब्रेरी सहित सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है, इससे विद्यार्थियों में इन प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण हुआ है। पिछले वर्ष भी अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में 03 बच्चों को सफलता मिली थी। जेईई मेंस परीक्षा में इस वर्ष बीजापुर जिले के आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार के सात बच्चों को सफलता मिली है। ये बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। इन बच्चों में मरकापाल, भैरमगढ़ से बबलू यादव, पालनार से किशोर कारम, गंगालूर से सुरेश हेमला, विबनेश्वर पंतेगी एवं जीतू पोयम भैरमगढ़ के राहूल लेकाम सहित आवापल्ली से रमेश कुमार बुरका शामिल हैं। इन बच्चों ने बस्तर के साथ साथ पूरे देश में अपने लगन का लोहा मनवाया है।