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क्यों मायावती इस बीजेपी नेता की मौत पर रोई थीं और पत्नी के खिलाफ बसपा से नहीं उतारा था कोई प्रत्याशी, जानिए

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बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने भले ही 2019 लोकसभा चुनाव (2019 Lok Sabha elections) में भाजपा के हराने के लिए अपने धुर विरोधी रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Milayam Singh Yadav) के बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से हाथ मिला लिया था। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब मायावती ने बीजेपी (BJP) प्रत्याशी ब्रह्मदत्त द्विवेदी (Brahmdutt Dwivedi) की पत्नी के लिए उनकी सीट से बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। क्यों? आइए जानें।

मायावती राजनैतिक ही नहीं, व्यक्तिगत तौर पर भी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की विरोधी रही हैं। मुलायम से उनका मन-भेद ‘गेस्ट हाउस कांड’ के बाद हुआ था। 

मायावती राजनैतिक ही नहीं, व्यक्तिगत तौर पर भी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की विरोधी रही हैं। मुलायम से उनका मन-भेद ‘गेस्ट हाउस कांड’ के बाद हुआ था।

2 जून 1995 गेस्टहाउस कांड के दौरान बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती की उस समय रक्षा की थी जब वह गेस्ट हाउस में फंसी थीं। यही अहसान मायावती ब्रह्मदत्त का मानती रही थीं।

बता दें कि, बीएसपी प्रमुख कांशीराम के कहने पर मायावती ने लखनऊ गेस्ट हाउस में पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई थी और वह सपा से गठबंधन तोड़ने वाली थीं। तभी भारी संख्या में सपा कार्यकर्ता वहां पहुंच गए थे और मारपीट शुरू हो गई थी।

 मायावती खुद को बचाने के लिए कमरे में बंद कर ली थीं। मायावती की मदद के लिए पुलिस अफसर भी नहीं पहुंच सके थे, लेकिन फर्रुखाबाद से बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी सूचना मिलते ही मायावती की जान बचाने पहुंच गए थे।

मायावती ने कई बार इस घटना का जिक्र किया था कि जब वह मुसीबत में थीं तब ब्रह्मद्त्त भाई ने ही उनकी जान बचाई थी। इस अहसान को मायावती ही नहीं उनके कार्यकर्ता भी मानते थे। 

2007 में जब मायावती ने अनंत कुमार मिश्रा को फर्रुखाबाद से चुनाव लड़वाया तो उस समय मायावती के सबसे खास सतीश मिश्रा ने चुनावी रैली में भी ब्रह्मदत्त द्विवेदी का शुक्रिया अदा कर कहा थ्रा कि बसपा उनकी अहसानमंद रहेगी।

बता दें कि साल 1998 में जब ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्या हुई थी तब मायावती उनके घर गई थीं और वहां फूट-फूटकर रो पड़ी थीं।

बीजेपी ने जब ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी को चुनाव में खड़ा किया था तब मायावती ने उस सीट से बसपा का कोई प्रत्याशी तक नहीं उतारा था।

मायावती ने ब्रह्मदत्त की पत्नी के लिए अपनी पार्टी के लोगों से उनका समर्थन करने की अपील की थी और खुद मायावती ने अपील कर कहा कि मेरे भाई की विधवा को वोट करें।