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आज़ादी के अमृत महोत्‍सव पर हिंदी विश्वविद्यालय में काव्य संध्या का भव्य आयोजन:: ‘गीत गाता हूं मैं आज उनके लिए “जो जिए भी और मरे भी वतन के लिए’

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आज़ादी के अमृत महोत्‍सव पर हिंदी विश्वविद्यालय में काव्य संध्या का भव्य आयोजन
‘गीत गाता हूं मैं आज उनके लिए “जो जिए भी और मरे भी वतन के लिए’

वर्धा, 12 अगस्‍त 2021: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में आज़ादी के अमृत महोत्‍सव के अवसर पर पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के रचना संसार पर केंद्रित चार पुस्‍तकों का लोकार्पण विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल की अध्‍यक्षता में बुधवार दि. 11 अगस्‍त को किया गया। इस अवसर पर आभासी माध्‍यम से संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने संबोधित किया। श्री ‘निशंक’ ने राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का उल्‍लेख करते हुए कहा कि शिक्षा नीति के माध्‍यम से देश-विदेशों में भारत की पहचान स्‍थापित हो रहा है। यह शिक्षा नीति गेम चेंजर का काम करेंगी। भारत को विश्‍व गुरु बनाने की दिशा में हमें एक योद्धा बनकर काम करना पड़ेगा। दुनिया भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रही है। शिक्षा नीति के माध्‍यम से भारत दुनिया का नेतृत्‍व कर सकता है। अपनी चार रचनाओं के प्रकाशन पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए उन्‍होंने कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल और पुस्‍तकों के लेखकों प्रति आभार जताया। उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय हिंदी भाषा को विश्‍व में पहुंचाने का केंद्र बनेगा और हिंदी की अभिव्‍यक्ति और शक्ति का नया इतिहास रचेगा।


कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने ‘निशंक’ जी के प्रति कृतज्ञता व्‍यक्‍त करते हुए उन्‍हें एक श्रेष्‍ठतम समकालीन साहित्‍यकार कहा। उन्‍होंने कहा कि हिंदी को संपर्क और संवाद की भाषा बनाने के लिए विश्‍वविद्यालय निरंतर प्रयासरत है। हिंदी के विकास से सभी भारतीय भाषाओं का विकास होगा। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ‘निशंक’ का अंगवस्‍त्र, स्‍मृतिचिन्‍ह और पुष्‍पगुच्‍छ देकर स्‍वागत किया प्रो. योगेंद्र ना‍थ शर्मा ने इसको स्‍वीकार किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि तथा विश्‍वविद्यालय के कार्य परिषद के सदस्‍य प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ की उपस्थिति में काव्‍य संध्‍या का आयोजन किया गया। काव्‍य संध्‍या में प्रो. हरीश अरोड़ा, डॉ. प्रियंका मिश्र, डॉ. रामानुज अस्‍थाना, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, डॉ. चंद्रशेखर पांडेय, डॉ. ओ. पी. गुप्‍ता ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।


प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा ने वंदनगीत ‘छू लिया तुमने मुझे मैं हो गया चंदन सरिखा’ सुनाकर काव्‍य संध्‍या का प्रारंभ किया। उन्‍होंने ‘जिंदगी के पल रूपहले हो गये है, प्राण में जबसे बसे प्रियतम हमारे’ तथा देशभक्ति पर गीत ‘उठो बढ़ो बहादुरो बहादुरी से काम लो’ सस्‍वर सुनाया। इस अवसर पर उन्‍होंने अनेक रचनाएं सुनाकर खूब तालिया बटोरी। उन्‍होंने ‘जब-जब सोये तुम्‍हें सहेजा हमने अपने ख्‍वाबो में, आंख खुली तो पाया तुमको हसते हुए गुलाबो में’ तथा कांटे हरेक राह में क्‍यों बो रहे है लोग, दुश्‍मन खुद अपने आपके ये हो रहे है लोग’। उन्‍होंने देशभक्ति पर रचना ‘गीत गाता हूं मैं आज उनके लिए जो जिए भी मरे भी वतन के लिए’ सुनाई।

काव्‍य संध्‍या में प्रो. हरीश अरोड़ा ने ‘जो सूर्य भला क्‍या जिसमें अग्नि का श्रृगांर नहीं’, डॉ. रामानुज अस्‍थाना ने रुमाल शीर्षक से ‘मैं तुम्‍हारे हाथ का रुमाल था’ कविता सुनाई। डॉ. प्रियंका मिश्र ने ‘बीर बांकुरो ने मां के चरणों में सिर चढ़ाया’ कविता प्रस्‍तुत की। डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी ने ‘चिराग हूं गुलिस्‍ता वक्‍त का’ तथा डॉ. चंद्रशेखर पाण्‍डेय ने ‘हे भारत के भूमि के वीरों’ कविता सुनाई। इस अवसर पर भारतीय बौद्ध ज्ञान विश्‍वविद्यालय, सांची की कुलपति प्रो. नीरजा गुप्‍ता ने भी अपनी रचना ‘माथे पर जिनके’ प्रस्‍तुत की। डॉ. ओ. पी. गुप्‍ता ने भी अपनी रचना सुनाई।

विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने ‘अपने लक्ष्‍य की ओर जाना है मंजिल की आस है’ कविता प्रस्‍तुत कर अध्‍यक्षीय उद्बोधन दिया। काव्‍य संध्‍या का संचालन दर्शन एवं संस्‍कृति विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. जयंत उपाध्‍याय ने किया तथा साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया। डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने संस्‍कृत में तथा डॉ. वागीश राज शुक्‍ल ने हिंदी में सरस्‍वती वंदना का गायन किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्‍ल एवं प्रो. चंद्रकांत रागीट, कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान, अधिष्‍ठातागण, विभागाध्‍यक्ष, अध्‍यापक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे। विश्‍वविद्यालय के फेसबुक तथा यूट्यूब पर आभासी माध्‍यम से अध्‍यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थियों ने जुड़कर इस आयोजन का लाभ लिया।