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छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष-की भूमिका जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना…..

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  *(शशि कोन्हेर)* 

छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष-की भूमिका जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना

धरमलाल कौशिक नेता प्रतिपक्ष केवल कागजों पर ही नेता प्रतिपक्ष हैं

*उनकी सहानुभूति किसके प्रति है यह उजागर होना जरूरी है

आगामी विधानसभा चुनाव में उनका बिल्हा क्षेत्र से चुनाव जीतना ही बहुत मुश्किल है

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बिलासपुर। यहां मुझे इसलिए सारी बातें उजागर करनी पड़ रही है क्योंकि मैं उस समय से नेता प्रतिपक्ष श्री धरमलाल कौशिक को जानता हूं जब उन्हें भाजपा ने इस लायक भी नहीं समझा था कि बिल्हा जनपद अध्यक्ष का टिकट दे देती। तब कडार के निवासी विजय दुबे जी को जनपद अध्यक्ष की टिकट दी गई थी। नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने विधायक और विधानसभा अध्यक्ष बनने के साथ ही भाजपा के ही ऐसे तमाम लोगों को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जो उनके बारे में सही-सही बात बोला करते थे। अभी भी उनका अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच कोई रोल नहीं है। न तो वे नेता प्रतिपक्ष की भूमिका के साथ ही कोई न्याय कर पा रहे हैं और ना ही बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि होने के नाते, वहां की जनता के साथ ही कोई न्याय करते दिख रहे हैं।

उनसे उनके करोड़ों रुपए के बंगले में मिलने के लिए जाने वाले आम आदमी को घंटों इंतजार करना पड़ता है। उनके अपने क्षेत्र के कुछ लोगों ने बताया कि एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलना आसान है, लेकिन प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और बिरहा क्षेत्र के विधायक से मिलना बहुत कठिन है। अपने पुत्र को भाजपा की राजनीति में प्रमोट करने की कोशिशों में लगे श्री धरमलाल कौशिक आम जनता से दूर होते चले जा रहे हैं। उनका अभी भी रवैया ऐसा ही रहता है मानो छत्तीसगढ़ में अभी भी भाजपा सरकार है और वे उसके एक प्रमुख नेता हैं। आम आदमी, उनकी चमक दमक वाले बड़े बंगले में जाने से डरने लगा है। जबकि उनके विरोधी और बिल्हा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट के दावेदार अपना दरवाजा आम जनता के लिए चौबीसों घंटे खुले रखे हुए हैं। यह ओपन सिक्रेट है कि जिस नेता प्रतिपक्ष को पूरे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ भाजपा की हुंकार करनी थी। उसकी हालत अभी भी फिल्म के उस गाने की तरह बनी हुई है। जिसमें कहा गया है कि जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना..!! ऐसा करके वह अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को भले खुश कर लें लेकिन बिल्हा क्षेत्र की जनता और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में उनका ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।

मौजुदा प्रधानमंत्री की सभा के बाद भी चुनाव हार गए थे धरमलाल कौशिक

बात शायद 2013-14 के विधानसभा चुनाव की है. तब श्री धरमलाल कौशिक बिलासपुर जिले में ऐसे अकेले प्रत्याशी से भाजपा के जिनके पक्ष में प्रचार करने के लिए खुद भाजपा के सबसे बड़े नेता और आज के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। बिल्हा के कॉलेज में उनकी आमसभा हुई थी। के बावजूद श्री कौशिक की लोकप्रियता के कारण वे उन्हें वह चुनाव नहीं जितवा सके। श्री कौशिक पूरे जिले में उस चुनाव के दौरान हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अकेली सभा के बावजूद चुनाव हार गए थे।

जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच अलोकप्रिय भाजपाई आज भी उनके खास बने हुए हैं……

आगे श्री कौशिक के बारे में समर्पित होने वाली खबरों में ऐसे लोगों के नाम भी बताए जाएंगे जो बिल्हा विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच घोर अलोकप्रिय हैं। इसके बावजूद वे आज भी नेता प्रतिपक्ष के खासम खास बनकर उनकी जड़ों में मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं।

बात धरमलाल कौशिक की नहीं वरन भाजपा की है…….

यहां हमें इसलिए बात नेता प्रतिपक्ष श्री धरमलाल कौशिक की बात करनी पड़ रही है, क्योंकि वे , नेता प्रतिपक्ष होने के नाते,प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख झंडाबरदार बने हुए हैं। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह सोचना चाहिए कि जो व्यक्ति अपने विधानसभा क्षेत्र में ही जीत की गारंटी न रखता हो। वह पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव जितवाने और प्रदेश में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनाने की संभावनाओं को किस तरह जमीन पर उतार पाएगा..?