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गौरेला की सेनेटोरियम में ब्लड बैंक की जल्द होगी स्थापना, आदिवासी अंचल में अब होगी राहत

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छत्तीसगढ़ उजाला (प्रतीक सोनी)

बिलासपुर। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला गठन के बाद छत्तीसगढ़ सरकार यहां की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति संवेदनशील है। सरकार द्वारा आदिवासी बहुल अंचल में खून की कमी से होने वाली बीमारियों और इससे संबंधित परेशानियों को गंभीरता से लेते हुए बरसों से लंबित मांग ब्लड बैंक की स्थापना को अनुपूरक बजट में शामिल कर लिया है। इसके तहत जिला अस्पताल गौरेला पेंड्रा मरवाही सेनेटोरियम में ब्लड बैंक की स्थापना और गौरेला ब्लाक के ग्राम बेलपत में नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रविधान किया गया है।

आपातकालीन परिस्थितियों में अस्पताल में ब्लड बैंक का होना काफी महत्वपूर्ण होता है। ब्लड बैंक के न होने से सबसे ज्यादा परेशानी प्रसव के दौरान महिलाओं को होती है। प्रसव काल में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है जिसमें खून की कमी के कारण बहुत सी महिलाओं की मृत्यु हो जाती है या आपात स्थिति में बिलासपुर रेफर करना पड़ता है।

इसी प्रकार आपरेटर थिएटर में किसी सर्जरी के दौरान या एक्सीडेंट प्रकरण में खून की आवश्यकता सबसे ज्यादा होती है। पिछले कई वर्षों में इलाके के दूरस्थ जगहों जहां स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा है वहां खून की कमी के कारण या खून संबंधित बीमारियों की जानकारी के अभाव में कई लोगों ने असमय अपनी जान गवाई है। इसलिए ब्लड बैंक की स्थापना से कई मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में ही संभव हो पाएगा।

जिला अस्पताल में पदस्थ एमडी, पीडियाट्रिक्स डा. भरत भूषण त्रिपाठी बताते हैं कि इस जिले में बच्चों में सिकलसेल, एनीमिया और थैलेसेमिया नाम की बीमारी खून की कमी की वजह से सबसे ज्यादा होती है। इसमें बच्चे को बार बार खून चढ़ाना होता है। ब्लड बैंक हो जाने से इस प्रकार के मरीजों को यही इलाज मिल जाएगा व बिलासपुर आना जाना नहीं करना पड़ेगा।