राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह का हुआ वर्चुअल आयोजन
अच्छा शिक्षक, केवल विभिन्न विषयों का ज्ञान ही नहीं देता बल्कि वह एक अच्छा नागरिक बनने के गुण भी अपने विद्यार्थियों में विकसित करता है। वह प्रत्येक विद्यार्थी के अन्दर छुपी प्रतिभा की पहचान कर उन्हें निखारता है और जीवन जीने का सही तरीका सिखाता है। चरित्र निर्माण करने के साथ ही नैतिकता का बीजारोपण करता है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान-2020 समारोह में संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विभिन्न शिक्षकों को सम्मानित किया। राज्यपाल ने सभी सम्मानित होने वाले शिक्षकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने कोरोना काल में दिवंगत हुए शिक्षकों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते हैं। वे जलते हुए दीपक की तरह स्वयं जलकर, हमारी जिंदगियों में उजाला भरते हैं। वे न केवल हमें ज्ञान की रोशनी देते हैं बल्कि सच्चाई के मार्ग पर चलने का हौसला भी देते हैं, क्योंकि शिक्षक अपना पूरा जीवन, इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब हम पर कोई भी विपदा आई है, शिक्षकों ने कभी हिम्मत नहीं हारी। पिछले डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है , परंतु शिक्षकों ने इस नए मोर्चे पर भी ऑनलाइन शिक्षण के जरिए पूरी काबिलियत और मेहनत के साथ शिक्षा की मुहिम को जारी रखा। चाहे मोहल्ला क्लासरूम हो या पढ़ई तुंहर द्वार, ऑनलाइन कक्षाएं के माध्यम से प्रदेश के शिक्षकों ने पूरे उत्साह और समर्पण के साथ शिक्षण की निरंतरता में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने दी।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति में चर्चा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों का समग्र विकास करना और बच्चों को व्यावहारिक जानकारी तथा विभिन्न कौशल से युक्त करना है ताकि वे पढ़ाई खत्म करने के बाद आत्मनिर्भर बन सके। इस नीति में समावेशी शिक्षा पर भी जोर दिया गया है, जिसमें विशेषकर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा पृथक से ‘जेंडर इन्क्लूजन फंड’ भी बनाया जाएगा, जिससे बालिकाओं को भी निर्बाध रूप से शिक्षा मिलती रहे।
राज्यपाल ने बदलते परिवेश में शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनके समक्ष अभी कई चुनौतियां है। प्राथमिक स्तर में बच्चों की प्रवेश दर 90 फीसदी है जो हायर सेकण्डरी स्तर आते तक कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चे पढ़ाई बीच में ना छोड़े इसके लिए शिक्षक, अभिनव उपाय अपनाएं और शिक्षण पद्धति नवीनतम आकर्षक बनाए साथी ही यह भी प्रयास करें कि शिक्षा गुणवत्ता पूर्वक व रोजगार परक हो।
इस अवसर पर राजभवन में राज्यपाल ने शिक्षकों श्रीमती मधु शर्मा महासमुंद, श्री नरेश कुमार नायक महासमुंद, श्रीमती लीना वर्मा रायपुर और श्री गोपाल वर्मा, रायपुर को शॉल-श्रीफल देकर सम्मानित किया।