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पांच घंटे सरकंडा थाने में बैठे रहे एसपी, पांच साल पुराने मर्ग मामलों को देखकर जताई नाराजगी

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सीएसपी को वर्तमान व पूर्व थानेदारों के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिए हैं।

छत्तीसगढ़ उजाला (प्रतीक सोनी)

बिलासपुर। सरकंडा थाने में पांच साल पहले कई थानेदार आए और चले गए। लेकिन किसी ने इन पांच सालों से लंबित मर्ग मामलों की धूल खाती पड़ी फाइलों पर ध्यान नहीं दिया। बुधवार को एसपी औचक निरीक्षण करने पहुंचे, तब इन फाइलों को देखकर हैरान रह गए। थाने में पांच घंटे तक बैठकर उन्होंने एक-एक कर 15 मर्ग डायरी का परीक्षण किया। इस तरह के गंभीर मामलों में थानेदारों व विवेचकों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। इस लापरवाही के लिए उन्होंने थानेदारों व विवेचकों के खिलाफ जांच कर प्रतिवदेन देने के निर्देश दिए हैं। वहीं लंबित मर्ग मामलों में अपराध दर्ज करने कहा है।

बुधवार को बकरीद पर शासकीय अवकाश था। इसके चलते एसपी दीपक झा अपने आफिस पहुंचने के बजाय सुबह करीब 11 बजे बिना किसी पूर्व सूचना के सरकंडा थाना पहुंच गए। इस दौरान करीब पांच घंटे तक उन्होंने थानों में लंबित अपराधों के साथ ही लंबित मर्ग मामलों की समीक्षा की। शाम करीब चार बजे तक एसपी झा ने पांच साल पुरानी मर्ग डायरी का परीक्षण किया।
इस दौरान करीब 15 मर्ग डायरी के साथ ही 15 लंंबित अपराधों के डायरियों की बारीकी से समीक्षा की। इन फाइलों की हालत देखकर उन्होंने हैरानी भी जताई। पुराने मर्ग मामलों की समीक्षा में एसपी झा ने आत्महत्या करने के प्रेरित करने के पुराने प्रकरण में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए।

उन्होंने इस प्रकरण में अपराध दर्ज नहीं करने पर दोषी विवेचक व थानेदार के खिलाफ सीएसपी को जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह पांच साल पुराने लंबित प्रकरणों की जांच में लापरवाही बरतने वाले पूर्व थानेदारों के साथ ही वर्तमान थानेदार व विवेचकों के खिलाफ सीएसपी निमिषा पांडेय को जांच करने के निर्देश दिए हैं।
विवेचकों से मांगा स्पष्टीकरण

अपराधों की समीक्षा करते हुए एसपी झा ने पुराने मामलों की जांच में विलंब व अपराधियों को बचाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने इसके लिए दोषी विवेचकों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने को कहा है। सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इस दौरान उन्होंने थाने की कार्य प्रणाली के साथ ही प्रकरणों की लंबित संख्या को देखते हुए शेष बचे प्रकरणों की बाद में दोबारा थाने आकर समीक्षा करने की बात कही। साथ ही पुलिसकर्मियों को रिकार्ड दुस्र्स्त रखने व लंबित प्रकरणों को निपटाने की चेतावनी दी।
दूसरी तैनाती फिर भी नहीं दिया ध्यान

समीक्षा के दौरान ही एसपी झा को पता चला कि टीआइ जेपी गुप्ता की सरकंडा थाने में दूसरी बार तैनाती हुई है। फिर भी उन्होंने अपने इस दो बार के कार्यकाल में मर्ग मामलों पर कोई ध्यान नहीं दिया या फिर जानबूझकर मामले को दबाए बैठे रहे। समीक्षा में उन्होंने पाया कि आत्महत्या के लिए उकसाने के प्रकरण में अपराध बनता है। फिर भी अपराध दर्ज नहीं किया गया। इसे एसपी ने गंभीर लापरवाही माना है।