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चिकित्सकीय सुविधा ना मिलने के कारण हाईकोर्ट कर्मचारी की पत्नी की हुई मौत

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बिलासपुर। हाई कोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में कर्मचारी की पत्नी को चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाई, जिससे उनकी मौत हो गई। पीड़ित कर्मचारी ने इस मामले की शिकायत न्यायालय कर्मचारी संघ से की शिकायत की है। कर्मचारी की मौत को लेकर हुई लापरवाही की जांच की मांग को लेकर संघ ने कार्य वाहक मुख्य न्यायाधीश से शिकायत की है। साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को भी कहा है। ताकि, भविष्य में इस तरह की लापरवाही से किसी की जान न जा सके।
रामेश्वर सिंह ठाकुर हाई कोर्ट में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। अपनी पत्नी की असमायिक मौत से व्यथित होकर उन्होंने हाई कोर्ट न्यायालय कर्मचारी संघ को आवेदन दिया है। इसमें उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी की आठ मई को अचानक तबीयत बिगड़ गई। इस पर पहले उन्होंने संजीवनी 108 में काल कर एंबुलेंस मंगाया। लेकिन, समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंची। इस बीच उन्होंने हाई कोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में पदस्थ चिकित्सक से भी आग्रह किया और शासकीय आवास आकर चिकित्सकीय परामर्श देने कहा।

लेकिन, उन्हें किसी तरह से कोई सुविधा नहीं मिल पाई, जिसके कारण उनकी पत्नी की मौत हो गई। इस आवेदन पत्र को आधार बनाकर संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार पाठक व सचिव राजकुमार चंदा ने हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। संघ ने इस लापरवाही के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने पीड़ित कर्मचारी की शिकायत के आधार पर जांच कराने की भी मांग की है। ताकि, आने वाले समय में इस तरह की लापरवाही से किसी कर्मचारी व स्वजन को समुचित सुविधा मिल सके और इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।

परिसर में दो एंबुलेंस है फिर भी नहीं मिली सुविधा

संघ का यह भी कहना है कि हाई कोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी है, जिसमें अलग-अलग दो एंबुलेंस व डाक्टर की सुविधा उपलब्ध है। आपात स्थिति में न्यायाधीशों के साथ ही न्यायिक अधिकारी-कर्मचारियों वव उनके स्वजनों के उपयोग के लिए प्रदान की गई है। इसके बावजूद ऐसी घटना का होना घोर लापरवाही है। इस घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

एंबुलेंस का निजी उपयोग करते हैं डाक्टर

संघ ने अपनी शिकायत में बताया है कि हाई कोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में उपलब्ध शासकीय एम्बुलेंस वाहन ( मारूति वेन ) का उपयोग यहां पदस्थ चिकित्सक एसए सिद्दिकी द्वारा किया जा रहा है। उक्त एंबुलेंस वाहन को वे स्वयं चलाते हुए अपने आवास नर्मदा नगर मंगला चौक आने-जाने एवं व्यक्तिगत कार्यों के लिए सात-आठ साल से उपयोग कर रहे हैं। छुट्टियों के दिन एवं रात में भी उक्त वाहन को अपने निजी कार्यों के लिए ही उपयोग करते हैं। इस तरह से शासकीय वाहन का दुरूपयोग व न्यायसंगत नहीं है। यदि उक्त वाहन आवासीय परिसर में उपलब्ध होती तो शायद अनहोनी नहीं होती।