*छत्तीसगढ़ उजाला*
बिलासपुर के पास लोफंदी गांव में वन विभाग का सुुस्त रवैया हुआ उजागर:कटते पेड़ो को बचाने के लिए वन विभाग नही आ रहा है सामने:
वन अफसरों की लचर व्यवस्था के कारण वन विभाग को लग रहा लाखों का चूना:
जनता के पैसों की बर्बादी अगर आपको देखनी हो तो बिलासपुर वनमंडल की कार्यशैली को जरूर देखें।इस विभाग में अन्धेर मचा हुआ है।करोड़ो अरबो रुपयों ख़र्च करके हर वर्ष बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाने की बात करने वाले अपने जंगलों को बचाने के लिए सामने नही आ रहे है।वनों को तस्कर काटकर सफाया करने में लगे हुए है।और वन विभाग के डीएफओ को इस मामले से कोई सरोकार ही नही है।मामले पर विभाग की मौनचुप्पी संदेहास्पद है।जब जंगल कटवाने में ही दिलचस्पी है तो वृक्षारोपण का ढोंग किस लिए करते है।यह समझ से परे है।
वन विभाग से इसकी शिकायत करने पहुंचे गांव के सरपंच और पंचों को वन अधिकारी ने कह दिया जाओ तुम्हें क्या करना है..?, सागौन के पेड़ रहते हैं या कटते है..इससे तुमको क्या..?अब इस मामले में ग्रामीण क्या करे।मदमस्त सरकार के अफसर भी मदमस्त हो गए है।क्या इस सरकार में यही सब होगा?प्रदेश के वनमंत्री मोहम्मद अकबर क्या इस मामले में बिलासपुर वन मंडल के अफसरों पर कोई बड़ी कार्यवाही करेंगे?
लाखों के सागवान वृक्षों पर रोज चल रही है टंगिया, कुल्हाड़ी और आरी
बिलासपुर। बिलासपुर से रतनपुर जाने वाले मार्ग पर सेन्दरी गांव के पास लोफंदी गांव में बीते 15 दिनों से वन विभाग द्वारा लगाए गए सरकारी सागौन के पेड़ों की अंधाधुंध अवैध कटाई चल रही है। 15- 20 साल पहले सरकारी जमीन पर वन विभाग द्वारा लगाए गए सागौन के पौधे अब पेड़ बन गये है। अब तक इन पौधों की रखवाली करने वाले ग्रामीण और गांव के सरपंच तथा पंच सागौन की अवैध कटाई करने वालों के आगे थक गए हैं। अभी तक,वन विभाग की मिल्कियत वाले सैकडो सागौन पेड़ काटे जा चुके हैं। और अगर वन विभाग के अफसर आगे भी निष्क्रिय रहेंगे तो तस्करों और लकड़ी चोरों के द्वारा सागौन के सैकड़ों वृक्षों को काटकर पार कर दिया जाएगा।जंगल को बेदर्दी से काटा जा रहा है।इस मामले पर अगर सरकार उच्च स्तरीय जांच बैठालेगी तो बहुत बड़ा मामला सामने आ सकता है।
इस माामले की सबसे बड़ी बात यह है कि इस अवैध कटाई की जानकारी देने के लिए ग्राम के सरपंच ने वन विभाग के दरवाजे पर दस्तक दी तो वहां मौजूद अधिकारी ने उन्हें यह कहकर बैरंग वापस भेज दिया कि वे इस मामले में कुछ भी नहीं करेंगे।अब इसे क्या कहा जाए।जब जंगल को बचााने वाले ही ऐसा जवाब दे दे।पुरेे राज्य में अन्धेर मचा हुुुआ है।