वर्धा, दि. 22 जून 2021 : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के साहित्य विद्यापीठ, संस्कृत विभाग की ओर से योग सप्ताह के उपलक्ष्य में तथा आचार्य अभिनवगुप्त जयंती के अवसर पर 22 जून को ‘योग की कश्मीर शैव परंपरा’ विषय पर तरंगाधारित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के प्रो. रजनीश मिश्र ने कहा कि शैव योग एक आनंद की यात्रा है। यह सहज प्रकिया है।
अध्यक्षीय उदबोधन में प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने प्रो. रजनीश मिश्र का उनके सारगर्भित और महत्वपूर्ण व्याख्यान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रो. रजनीश मिश्र ने ‘विज्ञान भैरव’ सहित अनेक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए शैव योग की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि शैव योग वृत्ति परक है। उन्होंने शैव दर्शन में चित्त और चित को सरल शब्दों में समझाया।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक तथा स्वागत वक्तव्य साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने दिया। संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने वैदिक मंगलाचरण तथा अतिथि अध्यापक डॉ. वागीश राज शुक्ल ने शैव-योग मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. लेखराम दन्नाना ने किया तथा धन्यवाद सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रदीप ने ज्ञापित किया । कार्यक्रम में अध्यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
योग सप्ताह के अंतर्गत 23 जून को डॉ. भदंत आनंद कौसल्यायन बौद्ध अध्ययन केंद्र एवं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सिदो कान्हू मुर्मु दलित एवं जनजाति अध्ययन केंद्र की ओर से ‘विपश्यना (बौद्ध योग) विषय पर व्याख्यान होगा। 24 जून को हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग की ओर से ‘कबीर का सुरत योग (सहजयोग) विषय पर, 25 जून को गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग की ओर से ‘गांधी जीवन में यौगिक चेतना’ विषय पर, 26 जून को प्रदर्शनकारी कला विभाग एवं मराठी विभाग की ओर से ‘नाथपंथ एवं हठयोग’ विषय पर तथा 27 जून को दर्शन शास्त्र एवं संस्कृति विभाग की ओर से ‘समग्रयोग’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे ।