दिल्ली : मंगलवार को कांग्रेस की तरफ से सांसद राहुल गांधी ने श्वेत पत्र जारी किया है। जिसमें तीसरी लहर की तैयारी, दूसरी लहर की खामियां, आर्थिक रूप से मदद और पीड़ित परिवारों को मुआवजे की व्यवस्था जैसे विषयों का जिक्र किया गया है। इस पत्र को जारी करते वक्त राहुल ने कहा कि श्वेत पत्र के जरिए मैं केंद्र सरकार की गलतियों को सुधारना और उन्हें रास्ता दिखाना चाहता हूं। लेकिन क्या की इस श्वेत पत्र की शुरुआत कब हुई थी, इस पत्र का मतलब क्या है और इसका इस्तेमाल किस काम के लिए किया जाता है? अगर नहीं तो यह खबर आपके लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। पढ़िए…
क्या होता है श्वेत पत्र?
श्वेत पत्र की शुरुआत 91 साल पहले सन् 1922 में ब्रिटेन में हुई थी। यह किसी विषय के बारे में ज्ञात जानकारी या एक सर्वेक्षण/ अध्ययन के परिणाम का सारांश होता है। एक श्वेत पत्र किसी भी विषय के बारे में हो सकता है, लेकिन यह हमेशा चीजों के काम करने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देता है। यह आमतौर पर सरकार द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई या कम से कम एक निष्कर्ष के लिए प्रकाशित किया जाता है।
कौन जारी कर सकता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा किसी भी संस्था, कंपनी, ऑर्गेनाइजेशन द्वारा श्वेत पत्र जारी किया जा सकता है। जिसमें वह अपने ग्राहकों, कर्मचारियों या जनता को अपने उत्पादों की विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कई संस्था अपने द्वारा शुरू की गई तकनीक का प्रचार-प्रसार करने के लिए भी श्वेत पत्र जारी कर सभी स्थानों पर जानकारी पहुंचाती हैं।
एक श्वेत पत्र में क्या-क्या होता
श्वेत पत्र में सरकार की कमियों, उससे होने वाले दुष्परिणामों और सुधार करने के लिए सुझावों जैसे विषय होते हैं। वहीं उत्पादन/तकनीक से जुड़े श्वेत पत्र में उस उत्पादन/तकनीक से जुड़ी विभिन्न जानकारियां शामिल होती हैं। उदाहरण के तौर पर उस तकनीक की वजह से मिलने वाली सुविधाएं, उसका उपयोग करने का तरीका और आवश्यक वातावरण, अन्य तकनीक से यह कैसे भिन्न है, इसकी कीमत आदि जानकारियां शामिल होती हैं।