भिलाई। उद्योग नगरी भिलाई में एक हाईप्रोफाइल ठगी की वारदात सामने आई है। ठगी करने वाले कोलाकाता के हैं। मामले में 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले की शिकायत सिंप्लेक्स कास्टिंग कंपनी की डायरेक्टर संगीता केतन शाह ने दर्ज कराई है। सुपेला पुलिस ने धारा -420, 406 और 34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है। दरअसल, धोखाधड़ी के मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया है, वो किसी समय में सिंप्लेक्स कंपनी के कस्टमर हुआ करते थे। यही कस्टमर सिंप्लेक्स की उरला स्थित एक यूनिट को खरीदने के लिए तैयार हुए। जितनी रकम तय की गई थी, उससे कम देकर सिंप्लेक्स की उस यूनिट का मालिकाना हक पा लिए थे। जबकि जितने में बात हुई थी, वो रकम सिंप्लेक्स की डायरेक्टर संगीता केतन शाह को मिली ही नहीं।
संगीता की शिकायत पर सुपेला पुलिस ने शनिवार देर शाम को टेक्समैको रेल एंड इंजीनयिरिंग लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर सरोज कुमार पोद्वार, अक्षय पोद्वार, अमल चंद्र चक्रवर्ती, उत्सव पारेख, सुनील मित्रा, कार्तिकेयन देवरायपुरम रामासामी, दामोदर हजारीमल केला, अशोक कुमार विजय, इंद्रजीत मुखर्जी, वीरेंद्र सिंहा, मृदृला झुनझुनवाला, आशीष कुमार गुप्ता, रूषा मित्रा पंजीकृत कार्यालय बेलघरिया उत्तर 24 परगना पश्चिम बंगाल के खिलाफ मामला पंजीबद्ध हुआ है।
3000 से ज्यादा शब्दों में FIR…उसे आप शॉर्ट में समझें…
मामला इतना बड़ा है कि एफआईआर की कॉपी में डिटेल भी लंबा-चौड़ा है। तकरीबन तीन हजार से ज्यादा शब्दों में एफआईआर लिखी गई है। उस कॉपी को पढ़ने पर ये बात समझ में आ रही है कि सिंप्लेक्स की एक यूनिट उरला में है। जो कुछ दिनों से घाटा में चल रही थी। इसकी वजह से कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा। सभी आरोपी सिंप्लेक्स के कस्टमर थे। तो उन्हें पूरी बात मालूम थी। सिंप्लेक्स प्रबंधन से आरोपियों ने सौदा किया। सौदा 87 करोड़ रुपए में हुआ। इसके लिए बकायदा 87.5 करोड़ रुपए एग्रीमेंट किया गया। कांट्रेक्ट के तहत आरोपियों को पूरा पैसा देना था। एफआईआर के मुताबिक, 62 करोड़ रुपए देने के बाद आरोपियों ने बातचीत करना ही बंद कर दिया। सिंप्लेक्स प्रबंधन से कोई संपर्क ही नहीं रखा। तभी इस बात की जानकारी लगी कि पश्चिम बंगाल के रहने वाले आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर कंपनी में कब्जा जमा लिया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर डीआईसी में कंपनी में अपना मालिकाना हक जता दिया है। इंटरनेशनल बैंक से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 करोड का लोन भी ले लिया है।
संगीता ने पुलिस को बताया है कि, बताया कि उनकी कंपनी रायपुर के उरला इलाके में स्थित है। कंपनी एक प्रीमियर विनिर्माण कंपनी है और कास्ट आयरन फाउंड्री स्टील एंड अलय फाउंड्री, हैवी इंजीनियरिंग एंड फैब्रीकेशन प्लांट के लिए उपकरण निर्माण, विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रो में स्थित विनिर्माण सुविधाओं के साथ संरचनात्मक निर्माण जैसी गतिविधियों में संलग्न है और बम्बे स्टक एक्सचेंज के साथ सूचीबद्ध है।
इसके शेयर जनता और विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा ग्रहण किए गए हैं।मेरा मुख्य आफिस (कार्पोरेट कार्यालय) षिवनाथ काम्पलेक्स जी.ई. रोड सुपेला भिलाई जिला दुर्ग छ.ग. में स्थित है। यह कि विगत कुछ वर्षो से मेरी कंपनी वृत्तीय संसाधनो के आभाव के कारण घाटे में थी इस दौरान मैं बेहद परेषान थी। इसी बीच अनावेदकगण मेरे संपर्क में आए जो कि हमारे पूर्व से कस्टमर भी थे जो कि हमारी इस स्थिति से अवगत थे जिन्होने इस मौके का फायदा उठाते हुए हमें घाटे से उबारने हेतू हर संभव मदद आदि तरह-तरह के प्रलोभन देकर कंपनी बचाने में मददगार साबित होने वाले कई सारे झूठे आष्वासन दिए एवं मुझे इस सौदे के लिए सहमत करवाए और उरला स्थित हमारी कंपनी ईकाई-2 को बी.टी.ए. बनाकर बिना आर्थिक शर्तो की पूर्ति किये कब्जा कर लिया और मुझे कंपनी की मदद का प्रलोभन एवं झूठा आष्वासन देते रहे और दिनांक 27 अप्रेल 2019 से मेरे यूनिट में न केवल नाजायज कब्जा किए बल्कि मेरी कंपनी का संचालन कर लाभ अर्जित कर उसका भोग किये जा रहे हैं और हमे इस प्रकार उच्चस्तरी कार्पोरेट जालसाजी में फसाकर गंभीर धोखाधड़ी का षिकार किये हैं। उनके द्वारा मेरे साथ छल कर समय पर पैसे न दिये जाने के कारण मेरी कंपनी पुनः एन.पी.ए. हो गई और मुझे करोड़ो का न केवल आर्थिक नुकसान हुआ वरन मेरी कंपनी कि प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है।
कंपनी को हाल ही में विषयांकित अभियुक्त व्यक्तियों द्वारा रची गई सोची-समझी सुनियोजित साजिश का शिकार बनाया गया है। आरोपियों द्वारा अपने अत्यधिक लाभप्द वाणिजियक प्रतिष्ठानो के माध्यम से कंपनी को धोखा देने और उसे ठगने के लिए षडयंत्र रचा गया। हमारी इस शिकायत के आधारभूत तथ्य और परिस्थितियाँ निम्नानुसार हैं :-यह कि वर्ष 2019 की पहली छमाही में कंपनी को विभिन्न बाहरी कारकों से भारी वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था जो कंपनी प्रबंधन के नियत्रण से परे थीं। उस दौरान कंपनी के अधिकारियों से आरोपी व्यक्तियों द्वारा कम्पनी के व्यवसाय को पुनर्जीवित करने और वित्तीय तरलता को प्रवाहित करने के — संपर्क किया गया था।
कम्पनी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य में सहायक प्रतीत हो रहे, आरोपियों के प्रस्ताव के आधार पर दिनांक 26.04.2019 को एक बिजनेस ट्रास्फरएग्रीमेंट (बाद में BTAके रूप में संदर्भित) निष्पादित किया गया था जिसके तहत कंपनी, अपनी एक महत्वपूर्ण विनिर्माण इकाई, जो एक स्टील कास्टिंग फाउंड्री है तथा उरला इंडस्ट्रियल एस्टेट, रायपुर – 493 221, छत्तीसगढ़ में स्थापित है (बाद में उपक्रमके रूप में संदर्भित) को चालू संस्थान की अवधारणाके आधार पर स्लम्प सेल के माध्यम से विक्रय प्रतिफल 57,50,00,000/- (सत्तावन करोड़ पचास लाख)तथारु. 30,00,00,000/- (तीस करोड़ ek) की शुद्ध कार्यशील पूंजी उपयोग के साथ अभियुक्त संख्या 1 टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को बेचने और हस्तांतरित करने के लिए सहमत हुई थी।
यह कि कंपनी ने सद्भावनापूर्वक आरोपियों पर विश्वास करते हुए उक्त बीटीए में प्रवेश किया था। आरोपी व्यक्तियों ने अपने आकर्षक आश्वासनों, रिप्रेजेंटेसन और बड़े-बड़े वादों के द्वारा वित्तीय कठिनाइयो में फँसी कम्पनी को बेहद कम कीमत पर उसकी एक अत्यधिक मूल्यवान इकाई को बेचने का कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित और परभावित था। तत्कालीन परिस्थितियों में कंपनी को व्यवसाय के दौरान गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था जिसके अंतर्गत मजदूरों द्वारा अपने वेतन और मजदूरी के विलंबित भुगतान के कारण टूल डाउनतथा कम्पनी के वैधानिक दायित्वों के साथ-साथ वाणिज्यिक ऋण और अन्य देनदारियों का निपटारा करने में असमर्थता भी शामिल थी।
यह कि बीटीए निष्पादित करने का कम्पनी का उद्देश्य तत्कालीन आर्थिक संकट से बाहर निकलना और अपनी वित्तीय ताकत को पुनः प्राप्त करना था। उक्त बीटीए के तहत स्लम्प सेल के माध्यम से विक्रय प्रतिफल रूप में एकमुश्त राशि का भुगतान कंपनी को समय पर किया जाना अत्यंत आवश्यक था ताकि महत्वपूर्ण आर्थिक तरलता की उपलब्धता कंपनी को पुनः एक स्वस्थ कार्यप्रणाली हासिल करने में सक्षम बना सके. परंतु बीटीए की निर्धारित शर्तों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए अभियुक्त व्यक्तियों ने कंपनी को धोखा देने और छल करने के लिए अपनी साजिश को आगे बाते हुए जानबूझकर और उद्देश्यपूर्ण तरीके से कंपनी के भुगतान को रोके रखा और उसे जारी करने में नाजायज देरी की।
साथ ही अभियुक्त व्यक्तियों ने एक दूसरे के साथ सक्रिय मिलीभगत करके न केवल शिकायतकर्ता कंपनी के साथ छल किया और धोखा दिया बल्कि शिकायतकर्ता कंपनी के पूरे व्यवसाय को भी हड़पने और हथियाने के लिए एक और बड़ी साजिश रची। आरोपी व्यक्ति, शिकायतकर्ता कंपनी को सब्जबाग दिखाते रहे और शिकायतकर्ता कंपनी को इस वचनबद्धता के बहाने बीटीए में प्रवेश कराया कि आरोपी व्यक्ति शिकायतकर्ता कंपनी के वित्तीय पुनरुद्धार में सुविधा और सहायता प्रदान करेंगे परंतु बीटीए निष्पादित होने के बाद आरोपीगण दुर्भावना से प्रेरित होकर अपने आश्वासनों और वादों का खुले आम उल्लंघन करते हुए पलट गए तथा जानबूझकर और कपटपूर्वक कम्पनी के पक्ष में किए जाने वाले भुगतान को लंबे समय तक रोके रखा ताकि शिकायतकर्ता कंपनी विघटन एवं दिवालियेपन की स्थिति में आ जाए।
यहाँ यह उल्लेख करना उचित है कि आरोपी कंपनी, जिसका नाम टेक्समैको है, शिकायतकर्ता कंपनी के प्रतिस्पर्धी व्यवसाय में है और शिकायतकर्ता की सटीक आशंका है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा शिकायतकर्ता कंपनी को बीटीए में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया जाना शिकायतकर्ता कंपनी को क्षति पहुँचाने के लिए योजनापूर्वक तैयार किए गए एक षडयंत्र का नतीजा था। यह कि भुगतान करने में आरोपी व्यक्तियों द्वारा दुर्भावनापूर्वक अनुचित विलंब किए जाने के कारण कंपनी अपने विभिन्न वित्तीय दायित्वों का समुचित निर्वहन करने में असमर्थ हो गई। यह ध्यान दिया जाने योग्य है कि अभियुक्त व्यक्तियों ने जानबूझकर, धोखे से, कपटपूर्वक और उद्देश्यपूर्ण तरीके से कंपनी के पुनरुद्धार और पुनर्गठन की प्रक्रिया को बाधित करके कंपनी को गंभीर और अपूरणीय नुकसान पहुंचाने के एकमात्र इरादे से भुगतान में देरी की जो कि BTA की शर्तों का उल्लंघन था। कंपनी के अधिकारियों और प्रतिनिधियो के कई अनुरोधों और स्मरण पत्रो aके बावजूद आरोपीगण बीटीए के तहत निर्धारित दायित्वों का पालन करने और उन्हें पूरा करने में बुरी तरह से विफल रहे।
यह कि आरोपी व्यक्तियों ने कंपनी के पूर्ण नियंत्रण को हड़पने और हथियाने के लिए अपनी ताकत और पहुँच का गलत इस्तेमाल किया और इसी के लिए आरोपी व्यक्तियों ने कंपनी के अधिकारियों को उक्त बीटीए को निष्पादित करने के लिए प्रेरित और प्रभावित किया और धोखा दिया ताकि कंपनी के पुनरुद्धार और पुनर्गठन की प्रकिया बाधित हो। हालाँकि, बीटीए के निष्पादन के बाद से ही आरोपी व्यक्तियों ने कंपनी के विघटन के उद्देश्य से BTA के नियमों और शर्तों के निर्वहन में देरी की और व्यवधान जारी रखा। इसके अलावा आरोपी व्यक्तियों ने जानबूझकर और गलत इरादों के साथ, कंपनी के अस्तित्व की कीमत पर, अपने स्वयं के लाभ के लिए BTA की शर्तों की मनमानी व्याख्या की तथा बीटीए के क्रियानवयन की शर्तों को अपनी मनमर्जी से संशोधित किया। यह कि BTA के निष्पादन से पहले हुई चर्चा को कंपनी के अधिकारियों द्वारा प्रमाणिक तरीके से और अच्छे विश्वासपूर्ण माहौल में, पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यवस्था की उम्मीद में आयोजित किया गया था जो कि BTA के निष्पादन से संभव होता परंतु आरोपी व्यक्तियों की ओर से धोखाधड़ी और गलतबयानी के कई उदाहरणों के कारण यह स्पष्ट हो गया है कि आरोपी व्यक्तियों ने बीटीए के तहत निर्धारित अपने दायित्वों को ईमानदारी से निर्वहन करने का इरादा नहीं था बल्कि कम्पनी को आगे और नुकसान पहुँचाने और कम्पनी की स्थिति को और कमजोर करने की साजिश कर रहे थे ताकि आरोपी व्यक्ति अंततः कंपनी का सम्पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर सकें।
यह कि उपरोक्त के अलावा, आरोपी व्यक्तियों ने अवैध रूप से और गलत तरीके से उपक्रम की भूमि को राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर आरोपी व्यक्तियों के पक्ष में नामान्तरित करवा लिया इस तथ्य के बावजूद कि इस सिलसिले में कभी भी किसी भी कन्वियेन्स डीड का निष्पादन किया ही नहीं गया। यह ज्ञात हो कि राजस्व प्राधिकरण/ राजस्व न्यायालय में भूमि एवं अचल संपत्ति का नामांतरण केवल एक समुचित कनवेयन्स डीड के निष्पादित होने और पंजीकृत होने के बाद ही लागू हो सकता है जिसके लिए स्टांप शुल्क की आनुपातिक राशि के भुगतान देयहोता है जो सरकार के लिए राजस्व है। इस प्रकार अपने गैरकानूनी और गलत आचरण से आरोपी व्यक्तियों ने सरकार को भी अपने राजस्व से वंचित कर दिया। बहुत संभव है कि आरोपी व्यक्तियों ने उपक्रम की जमीन को सरकारी रिकार्ड में अपने पक्ष में नामान्तरित कराने के लिए और टेक्समैको के नाम से फैक्री ो लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कई जाली दस्तावेज भी गढ़े हों।
शिकायतकर्ता को यह मानने की उचित आशंका है कि कंपनी के अधिकारियों के कूटरचित हस्ताक्षर और फर्जी मोहर को भी इस्तेमाल करते हुए आरोपी व्यक्तियों द्वारा उनके नापाक मंसूबों और अवैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति की गई हो सकती है। यह कि शिकायतकर्ता यहाँ आशंकित है कि इस विस्तृत धोखाधड़ी और शिकायतकर्ता के खिलाफ आरोपी व्यक्तियों द्वारा रची और निष्पादित की जा रही गहरी साजिश की सही सीमा और परिमाण का तब तक खुलासा नहीं होगा जब तक कि उचित प्राधिकारी द्वारा इस मामले की पूरी तरह से विस्तृत जाँच नहीं की जाती है।