यज्ञों की भौतिक और आध्यात्मिक महत्ता असाधारण है। भौतिक या आध्यात्मिक जिस क्षेत्र पर भी दृष्टि डालें उसी में यज्ञ की महत्वपूर्ण उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। वेद में ज्ञान, कर्म, उपासना तीन विषय हैं। कर्म का अभिप्राय-कर्मकाण्ड से है, कर्मकाण्ड यज्ञ को कहते हैं। वेदों का लगभग एक तिहाई मंत्र भाग यज्ञों से संबंध रखता है। यों तो सभी वेदमंत्र ऐसे हैं जिनकी शक्ति को प्रस्फुरित करने के लिए उनका उच्चारण करते हुए यज्ञ करने की आवश्यकता होती है।इसी उद्देश्य से दिल्ली की इस सोसायटी ने यज्ञ का आयोजन किया है जो कई दिनों से जारी है।
श्री सत्य सनातन वेद मंदिर समिति एवं आर्य समाज मंदिर आर्य नगर सोसायटी पटपड़गंज दिल्ली के तत्वाधान में आर्य नगर सोसाइटी के सेंट्रल पार्क में महामारी कोरोना निवारण एवं वायु शुद्धि हेतु विशेष हवन सामग्री द्वारा यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।जो कि पिछले 6 दिनों से अनवरत चल रहा है और इस यज्ञ की महिमा कि 6 दिनों में इस सोसाइटी में कोई भी पॉजिटिव केस नहीं आया। जबकि रोज 2से 3 केस आते थे। यह यज्ञ आगे 2 दिन और चलेगा। उक्त जानकारी जितेंद्र भाटिया (महामंत्री) के द्वारा दी गयी।आज यज्ञ की आवश्यकता पूरे संसार को है।यज्ञ से आज हमारी सोसायटी सुरक्षित है।आज हम सभी के स्वस्थ रहने की कामना करते है।
यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्व वायु मण्डल में फैलाये जाते हैं उनसे हवा में घूमते हुए असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं। डी.डी.टी., फिनाइल आदि छिड़कने, बीमारियों से बचाव करने की दवाएं या सुइयां लेने से भी कहीं अधिक कारगर उपाय यज्ञ करना है। साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है। मनुष्यों की ही नहीं, पशु पक्षियों, कीटाणुओं एवं वृक्ष वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है।
यज्ञ द्वारा प्रथक-प्रथक रोगों की भी चिकित्सा हो सकती है। यज्ञ तत्व का ठीक प्रकार उपयोग करके अन्य चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबिले में अधिक मात्रा में अधिक शीघ्रतापूर्वक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
यज्ञ द्वारा विश्वव्यापी पंच तत्वों की, तन्मात्रों की, तथा दिव्य शक्तियों की परिपुष्टि होती हैं। इसके क्षीण हो जाने पर दुखदायी असुरता संसार में बढ़ जाती है और मनुष्यों को नाना प्रकार के त्रास सहने पड़ते हैं। देवताओं का—सूक्ष्म जगत के उपयोगी देवतत्वों का भोजन यज्ञ है। जब उन्हें अपना आहार समुचित मात्रा में मिलता रहता है तो वे परिपुष्ट रहते हैं और असुरता को, दुख दारिद्र को दबाये रहते हैं।
यज्ञ में जिन मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है उन की शक्ति असंख्यों गुनी अधिक होकर संसार में फैल जाती है, और उस शक्ति का लाभ सारे विश्व को प्राप्त होता है। गायत्री मंत्र की सद्बुद्धि शक्ति को यज्ञों के द्वारा जब आकाश में फैलाया जाता है तो उसका प्रभाव समस्त प्राणियों पर पड़ता है और वे सद्बुद्धि से, सद्भावना से, सत्प्रवृत्तियों से अनुप्राणित होते हैं।