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भारतीय संस्कृति का मूल तत्व है विवेक : प्रो. जटाशंकर

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वर्धा, 17 मई.

अखिल भारतीय दर्शन परिषद के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर ने कहा है कि विवेक भारत की सनातन संस्कृति का मूल तत्व है. प्रो. तिवारी आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के दर्शन व संस्कृति विभाग द्वारा भारतीय दर्शन दिवस (आचार्य शंकर प्राकट्य तिथि, वैशाख शुक्ल पंचमी) तथा दर्शन एवं संस्कृति विभाग के द्वितीय स्थापना वर्ष के संयुक्त सुअवसर पर तरंगाधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे. संगोष्ठी का विषय था ‘आचार्य शंकर का संस्कृति-दर्शन : समसामयिक सभ्यतासंकट में प्रयोज्यता’. प्रो. जटाशंकर ने कहा कि सनातन संस्कृति में वह विवेक है जो सद असद का, शुभ -अशुभ के अंतर को पहचानता है. उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में कभी जड़ता नहीं रही. वह सर्वग्राही है. वह सर्वागीण दृष्टि से संपन्न है. वह चारों पुरुषार्थों में किसी का निषेध नहीं करती.

संत प्रवर महामंडलेश्वर स्वामी गुरु शरणानंद जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में शांकर दर्शन के मूल तत्वों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि सुख -दुःख से निवृत्ति विवेक से मिलती है. भारतीय संस्कृति स्व और परहित का विवेक देती है. वह सबको अपना मानती है.
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जाने माने दर्शनशास्त्री और कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि शंकराचार्य का दर्शन ज्ञानमूलक है. दुनिया ने हेय और उपादेय का ज्ञान अर्जित किए बिना जो प्रगति की, उसमें मनुष्य के सर्वनाश के सारे साजो सामान बनाए. उस प्रवृत्ति ने सभ्यता के सामने भयावह संकट खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि मनुष्य को मनुष्य बनाने का जो दर्शन शंकराचार्य ने दिया, उसी से लोक कल्याण संभव है.


मुख्य अतिथि, बीएचयू के दर्शन शास्त्र के आचार्य प्रो. आनन्द मिश्र ने कहा कि सभ्यताओं का अंतर आज मिट गया है. समूचा विश्व आज कोरोना संकट से जूझ रहा है. उसका पूर्वाभास गाँधी को था. वैश्विक संकट का मुकाबला शंकराचार्य के प्रवित्तिमूलक धर्म और नृवृत्तिमूलक धर्म के समन्वय से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता दीर्घायु है. वह बची रहेगी. सारस्वत अतिथि, नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय, डाल्टेनगंज, झारखंड के प्रतिकुलपति प्रो. दीप नारायण यादव ने कहा कि दुनिया के हर दर्शन के मूल में भारतीय दर्शन है. भारतीय दर्शन समावेशी है. उसमें हर मूल्य का समन्वय है. शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत दर्शन में आज की हर जटिल समस्या का समाधान है.
विशिष्ट अतिथि, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. औतार लाल मीणा ने कहा कि अद्वैत वेदांत दर्शन लोक कल्याण में संलग्न रहा है.


संगोष्ठी का संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने किया. आरम्भ में मंगलाचरण डॉ. वागीश राज शुक्ल और स्वागत भाषण संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन दर्शन और संस्कृति विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सूर्य प्रकाश पांडेय ने किया.