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‘‘टेलीविजनन ने मुझे जीवनभर की खुशियां, कामयाबी और संतोष दिया है‘‘, यह कहना है एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में धीरज चड्डा की भूमिका निभा रहे मेहुल निसार का:

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‘‘टेलीविजनन ने मुझे जीवनभर की खुशियां, कामयाबी और संतोष दिया है‘‘, यह कहना है एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में धीरज चड्डा की भूमिका निभा रहे मेहुल निसार का

भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री में लगभग 23 साल पूरे करने वाले, एक्टर मेहुल निसार ने हाल ही में एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में एंट्री की है। वह इस शो में धीरज चड्डा की भूमिका निभा रहे हैं, जिन्हें लोग प्यार से लोग डीसी कहते हैं। धीरज का अपना एक रिसाॅर्ट है जहां स्वाति (तन्वी डोगरा) और इंद्रेश (अभिषेक कादियान) आते हैं और वहीं फंस जाते हैं। मेहुल ने इस शो में अपनी भूमिका और शूटिंग के अनुभवों के बारे में बताया। साथ ही आगे क्या आने वाला इसके बारे में भी बात की।

  1. टीवी इंडस्ट्री में अब तक का आपका सफर कैसा रहा है?
    मेरे लिये टीवी इंडस्ट्री का यह सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। मैंने 1998 में अपने कॅरियर की शुरूआत की थी, उसके बाद मैंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुझे आज भी अपना पहला शो याद है, जहां मैंने एक हाई स्कूल ड्रामा में यंग टीनएजर की भूमिका निभायी थी। अब मैं एक बेटी का पिता बना हूं। मुझे पता ही नहीं चला कि समय कैसे इतनी तेजी से बीत गया और इस इंडस्ट्री में अब मुझे दो दशक से भी ज्यादा समय हो गये हैं। टेलीविजन ने मुझे जीवनभर की खुशियां, कामयाबी और संतोष दिया है।
  2. इस शो में अपनी भूमिका के बारे में बतायें और यह आपको कैसे मिली?
    मैं एक रिसाॅर्ट मालिक, धीरज चड्डा का किरदार निभा रहा हूं। लोग उसे डीसी के नाम से भी जानते हैं। वह अपनी बेटी को बहुत प्यार करता है, जोकि अलग-अलग राज्यों में रहकर पला-बढ़ा है। वह संतोषी मां का परम भक्त है और वह भारतीय संस्कृति की सादगी और परंपराओं को मानता है। वहीं उसकी बेटी उसके बिलकुल उलट है। वह आज के जमाने की लड़की है और माॅर्डन पहनावे में रहती है, जबकि डीसी आज भी परंपराओं के करीब है और अपनी जमीन से जुड़ा है। किसी भी अन्य पिता की तरह डीसी भी चाहता है कि उसकी बेटी भी अपने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को माने। वैसे, जब वह पहली बार स्वाति से मिलता है तो उसकी सादगी देखकर उसे अपनी बेटी मान लेता है। यह भूमिका मिलना और इस शानदार शो का हिस्सा बनना माता की कृपा ही है, क्योंकि यह सबकुछ आखिरी समय में ही तय हुआ है। महाराष्ट्र में शूटिंग की पाबंदियों के चलते कहानी को इस तरह से मोड़ दिया गया कि वह आउटडोर शूटिंग लोकेशन को सूट करे। मुझे इस शो में एक रिसाॅर्ट मालिक की भूमिका निभाने के लिये संपर्क किया गया। शूटिंग पर जाने के सिर्फ एक दिन पहले ही मुझे यह रोल मिला।
  3. इस शो को करने की क्या वजह रही?
    मैंने यह शो देखा है और मुझे यह बहुत पसंद आया। ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में मेकर्स ने जिस तरह से स्वर्ग लोक और पृथ्वीलोक को जोड़ा है वह कमाल का है। इसकी कहानी और काॅन्सेप्ट काफी रोचक और दिलचस्प है। कलाकार काफी ज्यादा खुश हैं और इसमें कोई शक नहीं कि सभी बेहद टैलेंटेड हैं। और आज इस शो का हिस्सा बनकर मुझे बहुत खुशी हो रही है! इस टीम के साथ काम करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा है। सारे लोगों में काफी अपनापन और विनम्रता है। शूटिंग के पहले दिन ही हर किसी ने खुले दिल से नये सदस्यों का स्वागत किया और सारे मिलते ही घुलमिल गये।
  4. क्या आप डीसी के किरदार से खुद को जोड़कर देख पाते हैं? आप दोनों में कितनी समानता या फर्क है?
    डीसी और मुझमें बहुत कुछ मिलता-जुलता है। मैं भी अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाता हूं और अक्सर मेरी पंजाबियत बाहर आ जाती है। साथ ही डीसी और मैं काफी खुशमिजाज किस्म के लोग हैं, जोकि इस किरदार को मजेदार बनाता है। उसे नये लोगों से मिलना और नये दोस्त बनाना अच्छा लगता है, जो फिर मुझे अपनी ही याद दिलाता है। धीरज चड्डा के किरदार को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रिया का मुझे बेसब्री से इंतजार है। मुझे उम्मीद है कि डीसी जनता जर्नादन के दिलों में जल्द ही अपनी एक जगह बना लेगा।
  5. आपका पसंदीदा जोनर कौन-सा है और क्यों?
    काॅमेडी जोनर का मेरे जीवन में एक खास स्थान है, क्योंकि मैंने पूरी जिंदगी काॅमिक और हल्के-फुलके किरदार निभाये हैं। दूसरों को हंसाने का अहसास बहुत अच्छा होता है। लेकिन सच कहूं तो किसी को हंसाना इतना आसान नहीं होता है। यदि किसी को टाइमिंग और ह्ययूमर के बीच संतुलन बनाना आ गया तो उससे काफी मदद मिलती है। साथ ही जो यह जान जाये कि कहां ब्रेक लगाना है। ईश्वर का आशीर्वाद है कि मुझमें काॅमेडी स्वाभाविक रूप से है। अब यह मेरी पर्सनालिटी का हिस्सा बन गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने इतने सारे लोगों को हंसाया और अपने हुनर से उनकी चिंताओं को भुलाने का काम किया। यह वाकई एक वरदान है!
  6. इस टीम के साथ शूटिंग करने का अब तक का अनुभव कैसा रहा है?
    पूरी यूनिट के साथ काम करने का अनुभव काफी मजेदार रहा है। सभी कलाकार और क्रू के सदस्य काफी मिलनसार, विनम्र और दोस्ताना व्यवहार वाले हैं। हम एक बड़े परिवार की तरह एक साथ नाश्ता, लंच और डिनर करते हैं। पैक अप के बाद भी हम काफी समय एक साथ गुजारते हैं। यह काफी मजेदार होता है और हमें एक-दूसरे को जानने का मौका मिलता है। साथ ही साथ हम शूटिंग के दौरान और उसके बाद भी सुरक्षा के सभी उपायों और प्रोटोकाॅल का ध्यान रखते हैं। यह अनुभव कमाल का रहा है और हर किसी से सीखने के लिये काफी कुछ है।