बिलासपुर : जिस बीएचएमएस डाक्टर ने होम्योेपैथी दवाई को शराब का विकल्प समझकर बेच रहा था। वही डाक्टर चार साल पहले सीपत क्षेत्र के फरहदा में डा. वासु के नाम से क्लीनिक चलाता था। साल 2018 में उसके उपचार से दो बहनों की मौत भी हो गई थी। पुलिस ने जांच के बाद उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया। लेकिन आरोपित डाक्टर की पहचान नहीं हो पाई थी और वह फरारी में चल रहा था।
सिरगिट्टी क्षेत्र के ग्राम कोरमी में होम्योपैथी दवाई को शराब का विकल्प बनाकर बेचने वाले आरोपित डा. एसआर चक्रवर्ती ने नौ ग्रामीणों को मौत के मुंह में ढकेल दिया। पुलिस की जांच के बाद अब आरोपित डाक्टर की करतूतें खुलने लगी हैं। पता चला है कि चार साल पहले आरोपित डा. चक्रवर्ती सीपत क्षेत्र के ग्राम फरहदा में डा. वासु के नाम से क्लीनिक चलाता था।
मजेदार बात यह है कि खंड चिकित्सा अधिकारी मस्तूरी को कोई ख़बर नहीं लगती कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ उजाला की संवाददाता ने मस्तूरी बीएमओ को शीपत-खमरिया के एक झोला छाप डाक्टर की कार्यवाही को बोला तब मस्तूरी बीएमओ कवर ने यह जवाब दिया कि हमारे पास शिकायत ही नहीं आती। जब संवाददाता प्रतीक सोनी ने कुछ सवाल किए तो इन्होंने कहा- मेरा मूड खराब है मैं अभी बात करने की स्थिति में नहीं हूं। इसी प्रकार के अधिकारियों के सुस्त रवैया की वजह से झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र को तो छोड़ ही दो, छोटे-छोटे कस्बों में भी बेखौफ अपनी दुकान चला रहे हैं कुछ झोलाछाप डॉक्टर तो यह दावा भी करते हैं कि बीएमओ खुद आते हैं और महिना लेकर जाते हैं। शायद जब संवाददाता ने बीएमओ से कही कि यह बात सत्य है क्या??? तब वो अचानक से भड़क गए। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते ही झोलाछाप डॉक्टर बिना जानकारी के कोई भी दवाई दे देते हैं और नतीजा हम सिरगिट्टी में हुए कांड का उदाहरण ले सकते हैं।
इस दौरान 14 जुलाई 2018 में खैरा निवासी केशवप्रसाद कुर्रे की बेटी 12 वर्षीय रेणुका की भजिया खाने से तबीयत बिगड़ गई थी। उसे उपचार के लिए फरहदा लेकर गए। तब डाक्टर ने उसका इलाज किया। इस बीच उसकी सात वर्षीय छोटी बेटी रितिका की भी तबीयत खराब हो गई थी। पीछे-पीछे उसे भी इलाज के लिए फरहदा ले गए। दो बहनों का डाक्टर ने प्राथमिक उपचार किया।
लेकिन तबीयत में सुधार नहीं होने पर उन्हें सिम्स भेज दिया। रेणुका की उसी दिन सिम्स में मौत हो गई थी। फिर उपचार के दौरान 15 जुलाई को रितिका ने भी दम तोड़ दिया। दोनों बच्चियों के शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें मौत के कारणों पर डाक्टर ने बिसरा परीक्षण कराने का उल्लेख किया।
सीपत पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। बिसरा जांच रिपोर्ट में दोनों बच्चियों की मौत अधिक मात्रा में पैरासिटामाल से होने की बात सामने आई थी। तब साल 2018 में पुलिस ने इस मामले में डाक्टर के खिलाफ धारा 304 ए के तहत अपराध दर्ज किया था।
तब से पुलिस आरोपित डाक्टर की तलाश कर रही थी। लेकिन उस समय डाक्टर अपना क्लीनिक बंद कर गायब हो गया था। तब यह भी पता नहीं चल सका था कि डाक्टर कहां का रहने वाला है। गांव के लोग उसका असली नाम व पता भी नहीं जानते थे। इसके चलते आरोपित डाक्टर फरारी में चल रहा था।
सिरगिट्टी क्षेत्र में मौत के बाद हुई पहचान
तीन दिन पहले सिरगिट्टी में होम्योपैथी दवाई पीने से ग्रामीणों की मौत हुई, तब पुलिस ने आरोपित डाक्टर एसआर चक्रवर्ती को हिरासत में लिया। इस बीच अखबारों में उसकी तस्वीर प्रकाशित हुई, तब ग्रामीणों ने उसकी पहचान फरहदा के डा. वासु क्लीनिक के संचालक के रूप में की। अब सीपत पुलिस इस मामले में भी आरोपित डाक्टर की गिरफ्तारी करने की तैयारी में है।
चार साल से था फरार, पुलिस को नहीं लगी भनक
आरोपित डा. एसआर चक्रवर्ती के खिलाफ 2018 से जांच चल रही थी। इस दौरान पुलिस उसकी पतासाजी कर रही थी। सीपत टीआई राजकुमार शौरी ने बताया कि वे खुद आरोपित डाक्टर की जानकारी जुटाने के लिए गांव गए थे। लेकिन उस समय उनकी पहचान नहीं हो पाई थी। इसके चलते वह फरार था। उसके सिरगिट्टी क्षेत्र में नाम बदलकर क्लीनिक चलाने की भी जानकारी पुलिस को नहीं थी।