अपने विभाग में इतने वर्षों तक सेवा देने वाले अफ़सर के साथ एसईसीएल प्रबंधन की बदसलूकी का मामला आया सामने:●
एसईसीएल के सेवानिवृत्त डीपी से कोरोना काल मे बंगला खाली कराना कही आर एस झा का सीएमडी बनने की रेस में रहना तो मुख्य वजह नही:●
एक्स डीपी आर एस झा के मामले में सीएमडी पंडा के नाम आने से मामला हुआ गर्म:●
बिलासपुर स्थित एसईसीएल मुख्यालय में पदस्थ अफसरों की तानाशाही का मामला प्रकाश में आया है।आपसी रंजिश व ईर्ष्या को लेकर एक बेहतरीन अफसर को रिटायरमेंट के बाद किस हद तक परेशान किया जा सकता है।यह सब आज एसईसीएल के मुख्यालय में हो रहा है। इस बार प्रबंधन ने अपने ही पूर्व डायरेक्टर पर्सनल काे निशाना बनाया है. वो भी वैसे अफसर को परेशान किया जा रहा है जो अपने व्यवहार के साथ ही अपने बेहतरीन कार्यो की वजह से पहचाने जाते हैं।जी हां हम बात कर रहे हैं एसईसीएल के पूर्व डायरेक्टर पर्सनल आर एस झा की जाे इसी साल जनवरी माह के 31 तारीख को रिटायर्ड हुए हैं और अब उनकाे परेशान करने में प्रबंधन काेई कसर नहीं छाेड़ रहा है, ना सिर्फ उन्हें बंगला खाली करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. बल्कि बंगला परिसर की लाईट कनेक्शन काट कर उनकी सेवा में तत्पर सभी बंगले के कर्मचारियों को भी हटा दिया गया है. ऐसे में पूर्व डीपी आर एस झा व उनका परिवार भय के साये में जी रहे हैं. बंगला परिसर के आसपास जहरीले सांप निकलते हैं. और अंधेरा हाेने के कारण खतरा आैर बढ़ गया है. लेकिन बेपरवाह प्रबंधन के द्वारा पूर्व डीपी के साथ जाे व्यवहार किया जा रहा है.वो पूरी तरह से प्रताड़ित करने वाला है।
…. एसईसीएल प्रबंधन को बंगला खाली कराने की इतनी आतुरता किस लिए……
कोरोना काल मे लॉक डाउन में एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा बंगला खाली करने का नोटिस एक ही दिन में दो दो बार जारी करना,कुछ लोग समझ से परे बताते है।कोरोना काल मे एसईसीएल प्रबंधन को इस बंगले की ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गयी जिसको खाली कराने के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ गईं।एसईसीएल के बड़े अफसर ने नाम नही छापने की शर्त पर हमको बताया कि कही न कही यह मामला जानबूझकर सीएमडी पंडा के द्वारा करवाया जा रहा है।सीएमडी का पद जब रिक्त हुआ था उस समय पंडा जी के साथ आर एस झा साहब का भी नाम था।
उस समय झा साहब का सीएमडी बनना भी लगभग तय हो रहा था।उस समय पंडा साहब की जो चिढ़ व ईर्ष्या थी वो सीएमडी बनते साथ ही शुरू हो गयी थी।उनको अब अपनी दुश्मनी निकालने का अवसर मिल गया।इसलिए उनके द्वारा यह सब करवाया जा रहा है।एसईसीएल में पहले कभी ऐसा दुर्व्यवहार किसी के साथ भी नही हुआ है।अगर देखा जाए तो आज भी एसईसीएल के एरिया में बहुत से क्वार्टर कई लोगो ने कब्जा करके रखे हुए है,कभी उनको खाली करवाने पर प्रबंधन ने ध्यान नही दिया।ऐसा व्यवहार प्रबंधन को नही करना था।
रिटायर्ड अफसरों के लिए विभाग का नियम भी बना हुआ है,रिटायर हाेने के बाद वे तीन महीने तक यह रह सकते हैं. वे बंगला खाली कर पाते इससे पहले ही लाकडाऊन लग गया. जिसके कारण वे बंगला खाली नहीं कर सके. इसके लिए उन्हाेने प्रबंधन से अतिरिक्त समय की मांग भी की थी. जिसे दरकिनार कर दिया गया.कुल मिलाकर देखा जाए तो एसईसीएल में अफसरों की अपनी एक गुटबाजी भी है जो अपने विरोधियों को निपटाने में कोई भी कसर नही छोड़ते है।यहाँ पर आपसी दुश्मनी का मामला समझ मे आता है।
एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा यह पत्र पूर्व डायरेक्टर पर्सनल आर एस झा को बार बार जारी करना बहुत से सवालों को खड़ा करता है।आखिर एसईसीएल को इस बंगले को खाली कराने की इतनी हड़बड़ी किसलिए थी।
इस पत्र को जारी करने वाले अफसर जीएम सक्सेना से जब छत्तीसगढ़ उजाला ने बात की तो उनका जवाब गोलमोल से परिपूर्ण था।उनका कहना था कि हा हमने बंगला खाली करने के लिए पत्र जारी किया था।हमारे यहां रिटायरमेंट के बाद तीन माह से ज्यादा किसी को भी बंगले में रहने का अधिकार नही है।हमने जब कोरोना काल और लॉक डाउन की बात की तो उन्होंने बताया कि हमने उनको पहले बंगला खाली करने को जरूर कहा था बाद में हमने उनको कहा था कि आप कुछ दिन यहाँ ओर रुक सकते है जिसका हमने उनको पत्र भी जारी किया था।हमने जब बताया कि वो तो अपने बंगले में है ही नही तब उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वो बंगला खाली करके चले गए होंगे।
एसईसीएल में यह घटना कोई छोटी मोटी भी नही कही जा सकती है।पूरी ईमानदारी से अपनी सेवा देने वाले अफसर के साथ ऐसा दुर्व्यवहार सरासर गलत है।इस मामले को लेकर जब हमने एसईसीएल के सीएमडी पंडा साहब से बात करने के लिए उनको कॉल किया तो महोदय का फोन ही नही उठा।वैसे भी ये महाशय मीडिया वालों का फोन अटेंड भी नही करते है।व्हाट्सएप पर मैसेज करने पर भी इन्होंने इतनी बड़ी घटना पर कोई भी जवाब नही दिया।
इस माामले पर पूर्व डीपी आर एस झा से जब बातचीत की गई तो उन्होंने हमें बताया कि उनके साथ विभाग के प्रबंधन परेशान करने के लिए क्या क्या नही कर रहा है।1मई से ही बिना बाेले बंगला खाली करने के लिए मुझसे कहा गया इसके साथ ही मेरे बंगले से सिक्योरिटी.गार्डनर और क्लीनर काे हटा दिया गया है. इसके अलावा मेरे बंगले के कैंपस की लाईट भी बंद कर दी गयी।सांप बिच्छू निकलते हैं. ऐसी स्थिति में यहां पर रह पाना बहुत कठिन है।मैं परिवार के साथ यहां असुरक्षित महसूस कर रहा हूं. एसईसीएल प्रबंधन की आेर से मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. मैं काेविड काल में लाकडाऊन के दाैरान भी बंगला खाली करने के लिए मजबूर हो रहा हूं.
कोरोना काल मे अपने ही लोगो के साथ एसईसीएल प्रबंधन का ऐसा दुर्व्यवहार………