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न प्रियंका का चला जादू और न ही भूपेश बघेल की जादूगरी, असम में फिर से बनी भाजपा की सरकार

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असम में बीजेपी गठबंधन पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली है जबकि कांग्रेस गठबंधन एक बार फिर अपने पुराने आंकड़े पर सिमटता दिखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बडा चेहरा और 5 साल में हुए विकास कार्य बीजेपी की वापसी का अहम कारण बने जबकि कांग्रेस गठबंधन की सत्ता में वापसी के लिए प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के अरमानों पर पानी फिर गया.हवा हवाई सपनो के साथ कांग्रेस असम में सत्ता हासिल कर पाने में असक्षम साबित हुई।

असम में दोबारा फिर बीजेपी गठबंधन की सरकार

प्रियंका गांधी असम में कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाईं

भूपेश बघेल की असम में रणनीति पूरी तरह से फेल साबित हुई

असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर एकतरफा जीत दर्ज की है. असम में बीजेपी गठबंधन पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करके अपने आपको साबित भी कर दी है,जनता को विकास चाहिए।जबकि कांग्रेस गठबंधन एक बार फिर अपने पुराने आंकड़े पर ही रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा चेहरा और 5 साल में हुए विकास कार्य बीजेपी की वापसी का अहम कारण बने जबकि कांग्रेस गठबंधन की सत्ता में वापसी के लिए प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

असम में न तो प्रियंका गांधी का चेहरा चला और न ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जादूगरी चली।छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं की बड़ी टीम असम में लगी हुई थी, बड़ी बड़ी बाते इन नेताओं ने की थी कि असम में सत्ता इस बार हम ही बनाएंगे।देश के अंदर कांग्रेस का साफ होना बहुत से सवालों को खड़ा भी कर रहा है।क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का जादू जनता के बीच चलता ही नही है।जिस तरीके से छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पूरी फ़ौज आसाम चुनाव में लगी थी उसे क्या कहा जायेगा।क्या आसाम चुनाव की हार पर भूपेश बघेल को भी मनन व चिंतन की आवश्यकता है।

असम विधानसभा चुनाव की कुल 126 सीटों पर चुनाव हुए हैं. इस बार एआईयूडीएफ, बीपीएफ और लेफ्ट पार्टी के साथ गठबंधन करना भी कांग्रेस के काम नहीं आ पाया.असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से फेल हुई है।

असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी ने संभाल रखी थी. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को उन्होंने असम चुनाव की जिम्मेदारी दे रखी थी. बघेल असम में डेरा जमाए हुए थे और उन्होंने अपने राज्य के तमाम नेताओं को लगा था. इसके बावजूद बघेल की चाल काम नहीं आ सकी थी जबकि प्रियंका गांधी का चेहरा भी पार्टी के काम नहीं आ पाया. हालांकि, प्रियंका गांधी ने यहां पूरी ताकत झोंक दी थी, फिर भी पार्टी जीत नहीं सकी.क्या प्रियंका इस हार के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल से नाराज हो सकती है? प्रियंका गांधी तो अपने सिपासलाहकारो के भरोसे में रह गयी।ऐसे बहुत से सवाल है जिसका मंथन कांग्रेस पार्टी व प्रियंका गांधी को करने की जरूरत है।

2016 की तरह इस बार के नतीजे भी बड़े गजब व शानदार आये . हालांकि, इस बार बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट बीजेपी के बजाय कांग्रेस के साथ मैदान में उतरी थी. कांग्रेस अपनी बनाई रणनीति में असफल साबित हुई।भाजपा की अपनी रणनीति इस चुनाव में जबरदस्त तरीके से सफल रही।

ये हाल तब है जब सीएए के खिलाफ असम में लोगों का जबरदस्त गुस्सा था. इसके अलावा चाय बागानों की मजदूरों की दिहाड़ी को कांग्रेस ने सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. इसके बावजूद असम में बीजेपी दोबारा से सत्ता हासिल की. बोडोलैंड और ऊपरी असम से ज़्यादा फायदा हुआ. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे थे कि लोग सरकार के खिलाफ वोट देने निकले थे. कांग्रेस मजबूत गठबंधन बनाने के बावजूद भी सरकार बना पाने में असफल रही।

बीजेपी को ऊपरी असम में मिली भारी बढ़त

बीजेपी असम के ऊपरी इलाके, मध्य क्षेत्र और उत्तर क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत बनाए रखने में कामयाब दिखी. वहीं, बराक घाटी और निचले असम के मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन को सीटें मिली हैं. असम के ऊपरी हिस्से में बीजेपी का जीतना यह बताया कि सीएए का कोई सियासी असर नहीं दिख रहा है. 

कांग्रेस असम विधानसभा चुनाव में उम्मीद लगाए हुए थी कि सीएए के खिलाफ हुए आंदोलनों, चाय बागानों के मजदूरों की नाराजगी, बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दों के कारण उसे असम में राजनीतिक मदद मिलेगी. इसके अलावा एआईयूडीएफ और बीपीएफ जैसे अहम दलों के साथ आने के कारण भी कांग्रेस सत्ता में अपनी वापसी की उम्मीद कर रही थी, लेकिन नतीजे से कांग्रेस की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि मुस्लिम वोट एकमुश्त मिलेंगे, लेकिन बीजेपी के ध्रुवीकरण के आगे उसके सारे समीकरण फेल हो गए।

विधानसभा चुनाव में असम के लोगों को कांग्रेस के नेताओ ने सीएए के खिलाफ बड़ी बड़ी बातें भी की।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश की योजनाओं का भी असम चुनाव में बहुत बखान भी किया था।कुल मिलाकर अपने आपको बडा नेता बताने वाले इन नेताओं ने इस चुनाव में कांग्रेस को जीत नही दिला पाई।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और राज्य में पांच सालों में हुए विकास कार्यों पर बीजेपी को वोट अच्छे मिले।असम में बीजेपी का सत्ता में लौटना एक बड़ा सियासी संकेत है और उसके सियासी मायने भी है. सीएए विरोध के बाद भी बीजेपी का जीतना काफी अहम है. वहीं, बीजेपी की जीत से कांग्रेस के आंतरिक राजनीति पर भी असर पड़ेगा. अब इसका असर क्या छत्तीसगढ़ में दिखेगा यह तो आने वाले समय मे ही पता चलेगा।वैसे भी छत्तीसगढ़ में सरकार में काम कम आपसी विवाद ज्यादा नजर आ रहा है।