बिलासपुर : हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग लड़की का गर्भपात कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सिम्स की डीन की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर अनुमति दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दुष्कर्म पीड़ित होने के कारण उसका डीएनए टिश्यू सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया है।इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय के अग्रवाल ने दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए सिम्स की डीन डा. तृप्ति नागरिया को आदेशित किया और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम से जांच कर शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा। इसी तरह पीड़ित के रहने खाने व सुरक्षा की व्यवस्था करने का आदेश बिलासपुर कलेक्टर को दिया गया। कोर्ट के आदेश पर सिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दो दिन में ही जांच कर रिपोर्ट पेश की है।
इस बीच मामले की सुनवाई नहीं हो पाई थी। सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट को बताया गया कि मेडिकल रिपोर्ट, पीड़ित की सहमति और मामले की परिस्थितियों व पीड़ित के संपूर्ण हित को ध्यान में रखकर हाई कोर्ट गर्भपात कराने का आदेश जारी कर सकता है।
प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस अग्रवाल ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सिम्स में पीड़ित का गर्भपात कराने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही दुष्कर्म पीड़ित की देखभाल व डिस्चार्ज के बाद बिलासपुर कलेक्टर को पीड़ित को घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद पीड़ित ने राहत की सांस ली है। मालूम हो कि अधिवक्ता प्रतीक शर्मा, रजनी पांडेय, प्रकृति जैन, नीशांत भानुशाली ने इस मामले में एक्सवाईजेड के नाम पीड़ित की तरफ से याचिका दायर की है।
इसमें नाबालिग पीड़ित के गर्भपात कराने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है। याचिका में पीड़ित की सारी परिस्थितियों व दिक्कतों का उल्लेख किया गया है। साथ ही टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी अधिनियम की धारा 3 व नियम 9 के अनुरूप पीड़ित को गर्भपात कराने का अधिकार दिया गया है।