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द्वि साप्ताहिक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह का महाविद्यालय परिसर वाराणसी में हुआ आयोजन

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द्विसाप्ताहिक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला


वर्धा, 14 मार्च 2021

: ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:भाषा एवं साहित्य शिक्षण के आयाम’ (1 मार्च-14 मार्च 2021) हिंदी विभाग,वसंत महिला महाविद्यालय, राजघाट,वाराणसी तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा विद्यापीठ पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण अभियान,शिक्षा मंत्रालय,भारत सरकार के अंतर्गत आयोजित द्वि साप्ताहिक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह का आयोजन महाविद्यालय परिसर वाराणसी में हुआ।


मुख्य वक्ता के रूप में सभा को संबोधित करते हुए प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि इस बीमारी में भी हमने ज्ञान और विद्या का अभ्यास नहीं छोड़ा।भाषा की जड़ें बहुत गहरी हैं।शब्द प्रमाण हैं और शब्द कामधेनु है।महान कलाकार शब्दों से खेलता है।हम गंभीर भाषा के उत्तराधिकारी हैं।शिक्षा नीति ने हमें हमारी जड़ों की ओर लौटने का,देखने का मार्ग प्रशस्त किया है।


विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर वांगचू दोरजे नेगी ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्या हमें मुक्ति देती है।दुःख का कारण अज्ञानता और अभाव है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारतीयता के उच्च भाव को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 185 वर्षों को अपदस्थ करती हुई नई शिक्षा नीति है ।भारत की बहुभाषिकता ही उसकी ताकत है।इक्कीसवी सदी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।शेष को हीन बनाने की जो शिक्षा प्रणाली थी उसके खात्मे की यह नई शिक्षा नीति है।हमें वह चाहिए जिससे भारतीयता प्रकाशित हो सके ।शब्द चेतना से सम्बंधित है इंद्रियों से नहीं।नीड और ग्रीड के अंतर को हमें समझना होगा।इस देश को इस देश की भाषा चाहिए।


अतिथियों का स्वागत प्राचार्या अलका सिंह ने किया।हिंदी की विभागाध्यक्षा डॉ. शशिकला त्रिपाठी तथा कार्यक्रम संयोजक डॉ. बंदना झा ने अतिथियों का स्वागत उत्तरीय ,तुलसी का पौधा,कृष्णमूर्ति पुस्तक देकर किया।धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ. बंदना झा ने यह कहते हुए किया कि चौदह दिवसीय कार्यशाला के साठ से अधिक वक्ताओं के उदबोधन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आयाम को समझने में सहायता मिलेगी।देश के विभिन्न हिस्सों से विशेषकर उत्तर पूर्व और दक्षिण से प्रतिभागियों की संख्या अधिक रही।दो सौ से अधिक प्रतिभागियों ने आभासीय मंच पर प्रतिभागिता की।कार्यक्रम का संचालन डॉ. बृहस्पति भट्टाचार्य ने किया।प्रतिवेदन डॉ. राजेश चौधरी द्वारा पढ़ा गया।शहर के विद्वत जनों ने इसमें शिरकत की।डॉ.सुमन जैन,डॉ.अखिलेश दुबे ,डॉ.अनुराग त्रिपाठी, डॉ.बाबूराम त्रिपाठी डॉ.अर्चना तिवारी, डॉ.श्रेया, डॉ.सुजाता साहा,डॉ.विभा सिंह पटेल के साथ शहर के शोध छात्रों की उपास्थिति से सभागार कोविड के नियमानुसार भरा रहा।