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पश्चिम बंगाल:नंदीग्राम में शुभेंदु, भवानीपुर में बाबुल? ममता बनर्जी की दोनों सीटों पर जोरदार संग्राम की तैयारी

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पश्चिम बंगाल में चुनावों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ चुकी है। अब सीटों पर उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया सभी दलों ने तेज कर दी है। इस बीच बीजेपी ने सीएम ममता बनर्जी को उनकी ही सीटों पर घेरने के लिए बड़ी तैयारी शुरू की है। अब तक पार्टी ने उम्मीदवारों की लिस्ट का ऐलान नहीं किया है, लेकिन ममता बनर्जी के मुकाबले नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी के लड़ने की बात कही जा रही है। यही नहीं ममता बनर्जी की परंपरागत सीट से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने लड़ने की इच्छा जताई है। यदि पार्टी की हाईकमान की मुहर लगती है तो ममता के मुकाबले दोनों ही सीटों पर बीजेपी के हैवीवेट कैंडिडेट होंगे। ऐसे में ममता बनर्जी के लिए अपनी सीटों पर भी मुकाबले को हल्के में लेना आसान नहीं होगा।

नंदीग्राम विधानसभा सीट की बात करें तो 2016 में शुभेंदु अधिकारी को यहां 1,34,623 वोट मिले थे और 67 फीसदी मतों के साथ उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी। वह यहां के स्थानीय नेता हैं और जबरदस्त पकड़ मानी जाती है। ऐसे में ममता बनर्जी के लिए नंदीग्राम का संग्राम बहुत आसान नहीं होगा, यह तय है। भले ही शुभेंदु अधिकारी ने 2016 में टीएमसी से चुनाव जीता था, लेकिन स्थानीय नेता होने के चलते उनका अच्छा जनाधार है और बीजेपी का वोटबैंक भी जुड़ने से वह मजबूत दावेदार जरूर हैं।

बीते साल ही बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी एक दौर में टीएमसी के मजबूत स्तंभों में से एक थे। ऐसे में उनके पार्टी छोड़ने से टीएमसी को नंदीग्राम जैसे क्षेत्र में झटका जरूर लगा है। शायद यही वजह है कि ममता बनर्जी ने चुनाव के दौरान एक महीने तक नंदीग्राम में कैंप करने की तैयारी की है।

इसके अलावा भवानीपुर की बात करें तो ममता बनर्जी ने 2011 में यहां उपचुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद 2016 में भी वह यहां 25,000 से ज्यादा वोटों से जीती थीं। उन्होंने कांग्रेस के सीनियर नेता प्रियरंजन दास मुंशी की बेटी दीपा दास मुंशी को मात दी थी। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो यदि यहां से उतरते हैं तो ममता को यहां भी समय देना होगा। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि इससे ममता बनर्जी अपनी ही दो सीटों पर ज्यादा समय देंगी और प्रदेश के अन्य हिस्सों में कम समय दे पाएंगी। इससे टीएमसी की रणनीति प्रभावित होगी और बीजेपी को इससे फायदा हो सकता है। इसके अलावा भवानीपुर के अलावा ममता के नंदीग्राम से भी लड़ने को लेकर बीजेपी यहां चर्चा कर रही है कि वह हार के डर से एक और सीट चुन रही हैं। भले ही इस प्रचार से नतीजा न बदले, लेकिन जमीनी स्तर पर यदि ऐसी धारणा बनती है तो टीएमसी की संभावनाओं को नुकसान होगा।

ममता के लिए नाक का सवाल रहा है नंदीग्राम: ममता बनर्जी के लिए नंदीग्राम हमेशा से अहम रहा है। 2006-08 के दौरान भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उन्होंने नंदीग्राम से ही संग्राम छेड़ा था और इसका असर पूरे प्रदेश में देखने को मिला था। वामपंथी दलों के सत्ता से जाने का माहौल यहीं से बनना शुरू हुआ था। ऐसे में ममता बनर्जी के लिए नंदीग्राम कर्मभूमि सरीखा है। बीजेपी की कोशिश है कि वह इन दोनों सीटों पर बीजेपी को घेरे ताकि उन्हें राज्य के दूसरे हिस्सों में टीएमसी को मजबूती देने का मौका न मिले।