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घर का माहौल हो ऐसा, जो मरीज के लिए दवा का काम करे

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परिवार में कोई एक सदस्य बीमार हो तो घर के सभी सदस्यों का जीवन प्रभावित होता है। मरीज जब तक हॉस्पिटल में होता है तब तक शारीरिक और मानसिक तौर पर पूरा परिवार परेशानी का सामना करता है। लेकिन घर आने के बाद परिवार का साथ और घर का माहौल दोनों मरीज को ठीक होने में मदद करते हैं तो पूरा परिवार भी संतुष्टि महसूस करता है। यह संतुष्टि पूरे सुकून में तब ही बदल सकती है जब मरीज का घर पर ऐसा ख्याल रखा जाए कि वो जल्द से जल्द ठीक हो सके। ये जल्द से जल्द ठीक होने की प्रक्रिया इतनी भी आसान नहीं है। इसके लिए पूरे परिवार को या ख्याल रखने वाले को कई सारी बातों का ध्यान रखना होता है। मरीज को कितनी भी दवाएं दे दीजिए या अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखा लीजिए मगर साफ.सफाई के बिना उनको ठीक कर पाना आसान बिल्कुल भी नहीं होता। कई दफा डॉक्टर दवाए जांच और ढेर सारे घर के कामों के बीच लोग मरीज की साफ.सफाई को प्राथमिकता नहीं दे पाते हैं। मगर घर पर मरीज हो तो उनके लिए ये प्राथमिकता होनी ही चाहिए। सफाई के लिए भी सिर्फ नहलाना ही काफी नहीं है कुछ और बातों का भी ध्यान रखना होगा। दांतों की सफाई जरूरी होती है। हो सकता है मरीज कमजोरी की वजह से खुद ब्रश ना कर पाए। ऐसे में आपको उसकी मदद करनी होगी। मरीज के कपड़े नियमित तौर पर बदले जाने चाहिए। ये जीवाणुओं से मरीज का संपर्क कम करने का एक बेहतरीन तरीका है। पैर और हाथ की उंगलियों के बढ़े हुए नाखून गंदगी रुकने का रास्ता आसान कर देते हैं। हॉस्पिटल में इलाज के दौरान भी कई बार नाखून बढ़ जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन्हें समय-समय पर काटा जाए। लंबे और गंदे बाल कई तरह के कीड़ों से आसानी से संक्रमित हो जाते हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि बाल साफ और कटे हुए हों। बीमारी कोई भी हो एक ही पोजीशन में लेटे रहने से ज्यादातर मरीजों की पीठ पर बेडसोर्स हो जाते हैं। ये ऐसी चोटें होती हैं जो त्वचा और उसके टिशूज को नुकसान पहुंचाती हैं। लंबे समय तक एक ही स्थिति में लेटे रहने की वजह से हिप्स टांगों और जांघों पर छाले जैसे हो जाते हैं। इनमें बेहद दर्द भी होता है। इनका अगर समय रहते ध्यान ना रखा जाए तो इनमें संक्रमण भी हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि मरीज की इस दिक्कत को खत्म करने की पूरी कोशिश की जाए। मरीज को हर एक घंटे बाद अपनी शारीरिक स्थिति बदलने के लिए कहें। अगर वो खुद ऐसा न कर पाएं तो आप उनकी मदद करें। याद रखने के लिए अलार्म लगा कर रखें।आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं कि किन बातों का ध्यान रख कर मरीज को बेडसोर्स की दिक्कत से बचाया जा सकता है या उस शारीरिक स्थिति पर बात की जा सकती है जिसमें बेडसोर्स होने की आशंका कम की जा सकती है। मरीज जब से घर पर रहना शुरू करे तभी से उनके शरीर के उन अंगों की जांच करते रहें जहां बेडसोर्स होने की आशंका रहती है। जांच नियमित तौर पर करें।मरीज के बिस्तर उसके बाकी मेडिकल इलाज जितना ही जरूरी होते हैं। दरअसल बिस्तर गंदे और बिगड़े हालत में होंगे तो शरीर तक बीमारी तो पहुंचाएंगे ही मरीज को आराम भी नहीं मिल पाएगा। ऐसे में बिस्तर को सही फिटिंग में बिछाना और साफ रखना दोनों ही मरीज की सेहत के लिए फायदेमंद रहता है। आम आदमी की तुलना में मरीज बिस्तर पर ज्यादा रहते हैं। ऐसे में हर रोज बिस्तर की सफाई जरूरी है ,चादर का फेब्रिक सॉफ्ट और साफ हो। पौष्टिक खाना हर इनसान को सेहतमंद बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। ऐसे में मरीज के लिए तो इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।खाने में कैलरी और न्यूट्रीशन का ख्याल रखें।मरीज की इच्छा का भी ध्यान रखें। हो सकता है वो एक बार में पूरा खाना न खाना चाहता हो या उन्हें कुछ स्नैक्स खाने का मन करे।
मरीज को जो भी खाना दें उसे कहीं लिखते जाएं ताकि डॉक्टर को बता सकें।
मनोविशेषज्ञों की मानें तो मरीज का ख्याल रखना और उन्हें प्यार देना जरूरी है। दरअसल मरीज अपने घर के माहौल में जल्दी ठीक हो जाता है। यहां उन्हें परिवार का साथ मिलता है तो अपना घर उन्हें सुरक्षित रहने का विश्वास भी देता है। ऐसे में मरीज को कभी ये नहीं लगना चाहिए कि वो परिवार पर बोझ है। अगर आपके व्यवहार में ऐसा एहसास हुआ तो आपकी सारी तीमारदारी बेकार चली जाएगी। ऐसे समझिए कि आपका व्यवहार और घर का माहौल मरीज के लिए दवा का काम करता है।